एक बार ब्रह्मा ने बहुत अधिक अमृत पिया और वमन किया। उससे सुरभि उत्पन्न हुई।
कामधेनु के श्राप की वजह से दिलीप को संतान नहीं हुई। महर्षि वसिष्ठ के उपदेश के अनुसार दिलीप ने कामधेनु की बेटी नन्दिनी की दिन रात सेवा की। एक बार एक शेर ने नन्दिनी को जगड लिया तो दिलीप ने अपने आप को नन्दिनी की जगह पर अर्पित किया। सेवा से खुश होकर नन्दिनी ने दिलीप को पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद दिया।
कठोपनिषद - भाग ४३
संप्रज्ञात और असंप्रज्ञात समाधियों में भेद क्या है?
पातञ्जल योग शास्त्र दो प्रकार की समाधियों के बारे में बत�....
Click here to know more..रामचन्द्राय जनकराजजामनोहराय
रामचन्द्राय जनकराजजामनोहराय मामकाभीष्टदाय महितमङ्गल....
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