ॐ रोहणी रुद्राक्षी मनकरिन्द्री नमः । रुद्राक्षीयायां गंड संसारं पारवितं फूल माला जडयायामी जयमीस्यामी जमीस्यामी प्रलानी प्रलानी नमः । रुद्राक्षी बुटी सफलं करीयामी मूर मूरगामी यशस्वी स्वः । ज्या बूटी मोरी वाणी बुंटी दामिनी दामिमि स्वः । रमणी रमणी नमः नमः । इस मंत्र से रुद्राक्ष अभिमंत्रित करने से वह सिद्ध हो जाता है ।
सूर्य देव के श्राप से निर्धन होकर शनि देव अपनी मां छाया देवी के साथ रहते थे। सूर्य देव उनसे मिलने आये। वह मकर संक्रांति का दिन था। शनि देव के पास तिल और गुड के सिवा और कुछ नहीं था। उन्होंने तिल और गुड समर्पित करके सूर्य देव को प्रसन्न किया। इसलिए हम भी प्रसाद के रूप में उस दिन तिल और गुड खाते हैं।
आज्ञा करने की शक्ति के लिए मंत्र
तत्पुरुषाय विद्महे सहस्राक्षाय धीमहि तन्नः शक्रः प्रचो....
Click here to know more..प्रभु रामचंद्र के दूत
प्रभु रामचंद्र के दूत हनुमंत आंजनेय । हे पवनपुत्र हनुमं�....
Click here to know more..नवग्रह शरणागति स्तोत्र
सहस्रनयनः सूर्यो रविः खेचरनायकः| सप्ताश्ववाहनो देवो द�....
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