तेरा अद्भुत रूप निराला, आजा! मेरी नैना माई ए ।
तुझपै तन मन धन सब वारूं, आजा मेरी नैना माई ए ॥
सुन्दर भवन बनाया तेरा, तेरी शोभा न्यारी ।
नीके नीके खम्भे लागे, अद्भुत चित्तर करीतेरा रंग बिरंगा द्वारा ॥
आजा मेरी नैना माई ए ॥
झाँझा और मिरदंगा बाजे, और बाजे शहनाई ।
तुरई नगाड़ा ढोलक बाजे, तबला शब्त सुनाई ।
तेरे द्वारे नौबत बाजे ॥
आजा मेरी नैना माई ए ॥
पीला चोला जरद किनारी, लाल ध्वजा फहराये ।
सिर लालों दा मुकुट विराजे, निगाह नहिं ठहराये ।
तेरा रूप न वरना जाए ॥
आजा मेरी नैना माई ए ॥
पान सुपारी ध्वजा, नारियल भेंट तिहारी लागे ।
बालक बूढ़े नर नारी की, भीड़ खड़ी तेरे आगे ।
तेरी जय जयकार मनावे ॥
आजा मेरी नैना माई ए ॥
कोई गाए कोई बजाए,कोई ध्यान लगाये ।
कोई बैठा तेरे आंगन में,नाम की टेर सुनाये ।
कोई नृत्य करे तेरे आगे ॥
आजा मेरी नैना माई ए ॥
कोई मांगे बेटा बेटी, किसी को कंचन माया ।
कोई माँगे जीवन साथी, कोई सुन्दर काया ।
भक्तों किरपा तेरी मांगे ॥
आजा मेरी नैना माई ए ॥
1. स्नान 2. संध्या वंदन - सूर्य देव से प्रार्थना करना। 3. जप - मंत्र और श्लोक। 4. घर पर पूजा/मंदिर जाना। 5. कीड़ों/पक्षियों के लिए घर के बाहर थोड़ा पका हुआ भोजन रखें। 6. किसी को भोजन कराना।
यजुर्वेद का पवित्र आदेश है कि यह चराचरात्मक सृष्टि परमेश्वर से व्याप्य है, जो सर्वाधार, सर्वनियन्ता, सर्वाधिपति, सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ, और सभी गुणों तथा कल्याण का स्वरूप हैं। इसे समझते हुए, परमेश्वर को सदा अपने साथ रखें, उनका निरंतर स्मरण करें, और इस जगत में त्यागभाव से केवल आत्मरक्षार्थ कर्म करें तथा इन कर्मों द्वारा विश्वरूप ईश्वर की पूजा करें। अपने मन को सांसारिक मामलों में न उलझने दें; यही आपके कल्याण का मार्ग है। वस्तुतः ये भोग्य पदार्थ किसी के नहीं हैं। अज्ञानवश ही मनुष्य इनमें ममता और आसक्ति करता है। ये सब परमेश्वर के हैं और उन्हीं के लिए इनका उपयोग होना चाहिए। परमेश्वर को समर्पित पदार्थों का उपभोग करें और दूसरों की संपत्ति की आकांक्षा न करें।