वग्गी विल्ली लोहा पाखर।
गुरां सिखाए ढाई आखर।
ढाई अखरां-दा एह स्वभाओ।
ना घटे दुध ना जाए धियो।
सोने दी चाटी पूपे दी मदानी।
दुध रिडके गौरजाँ रानी।
गौरजाँ रानी पाया फेरा।
इस गाय-मझी-दा दुध घियो मेरा।
चले मंत्र फुरे वाचा।
देखूँ गौरजाँ तेरे इल्म का तमाशा॥
नदी के किनारे २१ दिनों तक एक माला जपें।
आटे की गोलियां मछलियों को खिलायें।
इससे मंत्र सिद्ध होता है।
जिस गाय या भैंस का दूध कम हो, मंत्र बोलकर भभूत लगायें और पानी पिलायें।
पीत पीतांबर मूसा गाँधी ले जावहु हनुमन्त तु बाँधी ए हनुमन्त लङ्का के राउ एहि कोणे पैसेहु एहि कोणे जाहु। मंत्र को सिद्ध करने के लिए किसी शुभ समय पर १०८ बार जपें और १०८ आहुतियों का हवन करें। जब प्रयोग करना हो, स्नान करके इस मंत्र को २१ बार पढें। फिर पाँच गाँठ हल्दी और अक्षता हाथ में लेकर पाँच बार मंत्र पढकर फूंकें और उस स्थान पर छिडक दें जहां चूहे का उपद्रव हो।
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रं ॐ स्वाहा ॐ गरुड सं हुँ फट् । किसी रविवार या मंगलवार के दिन इस मंत्र को दस बर जपें और दस आहुतियां दें। इस प्रकार मंत्र को सिद्ध करके जरूरत पडने पर मंत्र पढते हुए फूंक मारकर भभूत छिडकें ।