139.1K
20.9K

Comments

Security Code

00137

finger point right
आप लोग वैदिक गुरुकुलों का समर्थन करके हिंदू धर्म के पुनरुद्धार के लिए महान कार्य कर रहे हैं -साहिल वर्मा

यह वेबसाइट बहुत ही रोचक और जानकारी से भरपूर है।🙏🙏 -समीर यादव

बहुत प्रेरणादायक 👏 -कन्हैया लाल कुमावत

आपकी वेबसाइट अद्वितीय और शिक्षाप्रद है। -प्रिया पटेल

वेदधारा सनातन संस्कृति और सभ्यता की पहचान है जिससे अपनी संस्कृति समझने में मदद मिल रही है सनातन धर्म आगे बढ़ रहा है आपका बहुत बहुत धन्यवाद 🙏 -राकेश नारायण

Read more comments

Knowledge Bank

शिव से पहले कौन था?

शिव पुराण के अनुसार शिव से पहले कोई नहीं था। शिव ही परब्रह्म हैं जिनसे जगत की उत्पत्ति हुई।

रामायण के मा निषाद श्लोक का अर्थ

श्री राम की कहानी लिखने के लिए ब्रह्मा से प्रेरित होकर महर्षि वाल्मिकी अपने शिष्य भारद्वाज के साथ स्नान और दोपहर के अनुष्ठान के लिए तमसा नदी के तट पर गए। वहां उन्होंने क्रौंच पक्षी का एक जोड़ा आनंदपूर्वक विचरते हुए देखा। उसी समय नर क्रौंच पक्षी को एक शिकारी ने मार डाला। रक्त से लथपथ मृत पक्षी को भूमि पर देखकर मादा क्रौंचा दुःख से चिल्ला उठी। उसकी करुण पुकार सुनकर ऋषि का करुणामय हृदय अत्यंत द्रवित हो गया। वही दु:ख करुणा से भरे श्लोक में बदल गया और जगत के कल्याण के लिए महर्षि वाल्मिकी के मुख से निकला - मा निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वतीः समाः । यत्क्रौंचमिथुनादेकमवधी काममोहितम् ।। श्लोक का सामान्य​ अर्थ शिकारी को श्राप है - 'हे शिकारी, तुम अनंत वर्षों तक प्रतिष्ठा प्राप्त न कर पाओ, क्योंकि तुमने क्रौंच पक्षियों के जोड़े में से कामभावना से ग्रस्त एक का वध कर डाला ।।' लेकिन वास्तविक अर्थ यह है- ' हे लक्ष्मीपति राम, आपने रावण-मंदोदरी जोड़ी में से एक, विश्व-विनाशक रावण को मार डाला है, और इस प्रकार, आप अनंत काल तक पूजनीय रहेंगे।'

Quiz

नन्दगाँव से श्रीकृष्ण और बलदेव को मथुरा कौन ले आया?

Recommended for you

दुर्गा सप्तशती - अध्याय ६

दुर्गा सप्तशती - अध्याय ६

ॐ ऋषिरुवाच । इत्याकर्ण्य वचो देव्याः स दूतोऽमर्षपूरितः ....

Click here to know more..

शारीरिक और मानसिक शक्ति के लिए हनुमान मंत्र

शारीरिक और मानसिक शक्ति के लिए हनुमान मंत्र

आञ्जनेयाय विद्महे महाबलाय धीमहि । तन्नो हनूमान् प्रचोद�....

Click here to know more..

वेंकटेश ऋद्धि स्तव

वेंकटेश ऋद्धि स्तव

श्रीमन्वृषभशैलेश वर्धतां विजयी भवान्। दिव्यं त्वदीयमै�....

Click here to know more..