व्यासजी ने १८ पर्वात्मक एक पुराणसंहिता की रचना की। इसको लोमहर्षण और उग्रश्रवा ने ब्रह्म पुराण इत्यादि १८ पुराणों में विभजन किया।
राजा दिलीप इक्ष्वाकु वंश के प्रसिद्ध राजा थे। इनके पुत्र थे रघु।
ॐ ह्रीं ह्सौं ह्रीं ॐ सरस्वत्यै नमः....
ॐ ह्रीं ह्सौं ह्रीं ॐ सरस्वत्यै नमः
हनुमान साठिका अर्थ सहित
जय कपीश जय पवन कुमारा । जय जगबन्दन सील अगारा ॥ हे कपीश ! हे �....
Click here to know more..श्रीकृष्णः शरणं मम - ध्यानात्मक प्रार्थना
नवग्रह सुप्रभात स्तोत्र
पूर्वापराद्रिसञ्चार चराचरविकासक। उत्तिष्ठ लोककल्याण �....
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