जो प्राणी सदा पापपरायण हैं, दया और धर्म से रहित हैं, जो दुष्ट लोगों की संगति में रहते हैं, सत् - शास्त्र और सत्संगति से विमुख हैं; जो अपने को स्वयंप्रतिष्ठित मानते हैं, अहंकारी हैं तथा धन और मान के मद से चूर हैं, आसुरी शक्ति को प्राप्त हैं तथा दैवी सम्पत्ति से रहित हैं; जिनका चित्त अनेक विषयों में आसक्त होने से भ्रान्त है, जो मोह के जाल में फँसे हैं और कामनाओं के भोग में ही लगे हैं, ऐसे व्यक्ति अपवित्र नरक में गिरते हैं । जो लोग ज्ञानशील हैं, वे परम गति को प्राप्त होते हैं। पापी मनुष्य दुःखपूर्वक यम यातना प्राप्त करते हैं ॥


 

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सत्य सनातन की जय हो💐💐💐 -L R Sharma

Hamen isase bahut jankari milti hai aur mujhe mantron ki bhi jankari milti hai -User_spaavj

वेदधारा हिंदू धर्म के भविष्य के लिए जो काम कर रहे हैं वह प्रेरणादायक है 🙏🙏 -साहिल पाठक

सनातन धर्म के भविष्य के लिए वेदधारा के नेक कार्य से जुड़कर खुशी महसूस हो रही है -शशांक सिंह

वेदधारा से जब से में जुड़ा हूं मुझे अपने जीवन में बहुत कुछ सीखने को मिला वेदधारा के विचारों के माध्यम से हिंदू समाज के सभी लोगों को प्रेरणा लेनी चाहिए। -नवेंदु चंद्र पनेरु

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भक्ति के माध्यम से संतोष प्राप्त करें

जीवन में सच्चा संतोष और खुशी पाने के लिए, व्रज की महिलाओं से प्रेरणा लें। वे सबसे भाग्यशाली हैं क्योंकि उनका मन और दिल पूरी तरह से कृष्ण को समर्पित है। चाहे वे गायों का दूध निकाल रही हों, मक्खन मथ रही हों, या अपने बच्चों की देखभाल कर रही हों, वे हमेशा कृष्ण का गुणगान करती हैं। अपने जीवन के हर पहलू में कृष्ण को शामिल करके, वे शांति, खुशी और संतोष का गहरा अनुभव करती हैं। इस निरंतर भक्ति के कारण, सभी इच्छित चीजें स्वाभाविक रूप से उनके पास आती हैं। यदि आप भी अपने जीवन में कृष्ण को केंद्र में रखेंगे, तो आप भी हर पल में संतोष पा सकते हैं, चाहे वह कार्य कितना भी साधारण क्यों न हो।

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