देवकार्यादपि सदा पितृकार्यं विशिष्यते । देवताभ्यो हि पूर्वं पितॄणामाप्यायनं वरम्॥ (वायु तथा ब्रह्मवैवर्त पुराण) - देवकार्य की अपेक्षा पितृकार्य की विशेषता मानी गयी है। अतः देवकार्य से पूर्व पितरोंको तृप्त करना चाहिये।
गरुड की मां है विनता। सांपों की मां है कद्रू। विनता और कद्रू बहनें हैं। एक बार, कद्रू और उनके पुत्र सांपों ने मिलकर विनता को बाजी में धोखे से हराया। विनता को कद्रू की दासी बनना पडा और गरुड को भी सांपों की सेवा करना पडा। इसलिए गरुड सांपों के दुश्मन बन गये। गरुड ने सांपों को स्वर्ग से अमृत लाकर दिया और दासपना से मुक्ति पाया। उस समय गरुड ने इन्द्र से वर पाया की सांप ही उनके आहार बनेंगे।
गीता का आविर्भाव कब हुआ था?
मैं ने सबसे पहले इस योग का उपदेश दिया विवस्वान को किया। वि....
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अथाष्टादशोऽध्यायः । मोक्षसंन्यासयोगः । अर्जुन उवाच - स�....
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