कर्ण के पिता थे सूर्यदेव और माता थी कुंती । कर्ण का जन्म रहस्य था और कुंती के विवाह से पहले हुआ था। कुंती ने कर्ण को नदी में बहा दिया। अधिरथ - राधा दंपती को यह बच्चा मिला। उन्होने उसे पाला, पोसा, बडा किया। अधिरथ और राधा सूत जाति के थे। इसलिए कर्ण सूत पुत्र कहा जाता है।
अनाहत चक्र में बारह पंखुडियां हैं। इनमें ककार से ठकार तक के वर्ण लिखे रहते हैं। यह चक्र अधोमुख है। इसका रंग नीला या सफेद दोनों ही बताये गये है। इसके मध्य में एक षट्कोण है। अनाहत का तत्त्व वायु और बीज मंत्र यं है। इसका वाहन है हिरण। अनाहत में व्याप्त तेज को बाणलिंग कहते हैं।
नास्ति क्रोधसमो रिपुः
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