साल में ९६ अवसरों पर श्राद्ध करने का विधान शास्त्रों में बताया है।

जो लोग इतना नहीं कर पाते, वे कम से कम इन दो अवसरों पर वार्षिक श्राद्ध करें -

पुत्रानायुस्तथाऽऽरोग्यमैश्वर्यमतुलं तथा।

प्राप्नोति पञ्चेमान् कृत्वा श्राद्धं कामांश्च पुष्कलान्॥

श्राद्ध करनेवाले को पुत्र, आयु, आरोग्य, ऐश्वर्य और अभिलाषों की प्राप्ति होती है।

वार्षिक श्राद्ध के विधान में परम्परानुसार कई भेद हैं - 

167.2K
25.1K

Comments

Security Code

38139

finger point right
यह वेबसाइट अद्वितीय और शिक्षण में सहायक है। -रिया मिश्रा

यह वेबसाइट ज्ञान का अद्वितीय स्रोत है। -रोहन चौधरी

वेदधारा की वजह से हमारी संस्कृति फल-फूल रही है 🌸 -हंसिका

हिंदू धर्म के पुनरुद्धार और वैदिक गुरुकुलों के समर्थन के लिए आपका कार्य सराहनीय है - राजेश गोयल

आपकी वेबसाइट ज्ञान और जानकारी का भंडार है।📒📒 -अभिनव जोशी

Read more comments

Knowledge Bank

श्राद्ध की महिमा

श्राद्धात् परतरं नान्यच्छ्रेयस्करमुदाहृतम् । तस्मात् सर्वप्रयत्नेन श्राद्धं कुर्याद् विचक्षणः ॥ (हेमाद्रिमें सुमन्तुका वचन) श्राद्धसे बढ़कर कल्याणकारी और कोई कर्म नहीं होता । अतः प्रयत्नपूर्वक श्राद्ध करते रहना चाहिये।

देवकार्य से पूर्व पितरों को तृप्त करें

देवकार्यादपि सदा पितृकार्यं विशिष्यते । देवताभ्यो हि पूर्वं पितॄणामाप्यायनं वरम्॥ (हेमाद्रिमें वायु तथा ब्रह्मवैवर्तका वचन) - देवकार्य की अपेक्षा पितृकार्य की विशेषता मानी गयी है। अतः देवकार्य से पूर्व पितरों को तृप्त करना चाहिये।

Quiz

ब्रह्मसूत्र किस दर्शन से संबन्धित है ?

Recommended for you

नारायणं नमस्कृत्य नरं चैव नरोत्तमम्

नारायणं नमस्कृत्य नरं चैव नरोत्तमम्

Click here to know more..

योग में उपाय प्रत्यय

योग में उपाय प्रत्यय

Click here to know more..

कृष्ण द्वादश मञ्जरी स्तोत्र

कृष्ण द्वादश मञ्जरी स्तोत्र

पतित्वा खिद्येऽसावगतिरित उद्धृत्य कलयेः कदा मां कृष्ण �....

Click here to know more..