गुरु ने बतलाया कि प्रलयकाल में पृथ्वी समुद्र में डुबो तो ऋषि, महर्षि तथा देवताओं ने भगवान विष्णु की स्तुति की और पृथ्वी के जलमग्न होने पर भी छत्राकार ज्योतिरुप भाग को आश्चर्य से देखते हुए उसका रहस्य जानना चाहा । भगवान विष्णु ने उस भाग को काशी की संज्ञा दी और उसके गुण, प्रभाव, माहात्म्य और नाम की प्रशंसा की एवम् पृथ्वी को दैत्य के आने से उसे मारकर निकालने का आश्वासन दिया जिससे वर्ण एवम् आश्रम पर आधारित धर्म चल सके।

ऋषियों ने काशी की इस अलग आकृति का कारण जानना चाहा तो भगवान विष्णु ने बतलाया कि किसी एक महाकल्प में लोग धर्मपरायण होकर तप आदि करते रहे तो भी इन्द्रियों के वैषभ्य से मोक्ष में विध्न होते रहे इस पर वे ब्रह्मा के पास जाकर इसका निराकरण पूछने लगे तो उन्होंने ज्योतिलिङ्ग रूपी भगवान विश्वनाथ का स्मरण किया। भगवान विश्वनाथ अपने स्वरूप से हृदय से बाहर प्रकट हुए और स्वयं को पंचक्रोशात्मक विस्तारवाला बनाकर ऊपर बैकुण्ठ एवम् नीचे पाताल तक ज्योतिलिङ्ग में प्रगट हुए । स्वयं भगवान शंकर ने पार्वती सहित कैलाश से आकर इस ज्योतिलिङ्ग की प्रशंसा की। शम्भू के अनुमोदन करने पर उस ज्योतिलिङ्ग की नाना प्रकार से स्तुतियाँ की गयीं । यही छत्राकृति पृथक काशी के रूप में सुशोभित हुई।

विष्णु ने सूकर का रूप धारण कर हिरण्याक्ष राक्षस का बध करके पातालपुरी से पृथ्वी का उद्धार किया।

काशी माहात्म्य वर्णन

शिष्य द्वारा काशी की महिमा पूछने पर गुरु वेदधर्मा ने बतलाया कि काशी ज्ञात-अज्ञात सभी पापों से मुक्ति दिलाती है। कलियुग में काशी ही एकमात्र ऐसा स्थान है जहाँ भगवान विश्वनाथ एवम् विष्णु की अनेकों प्रकार की कथायें महात्माओं द्वारा कही एवम् सुनी जाती हैं । इसकी परिधि के अन्दर कलिधर्म का प्रभाव नहीं पड़ता। काशी के विभिन्न वनों में तरह-तरह के सुगंधित वृक्ष सुशोभित जिसमें तरह-तरह के पक्षीगण कूजन करते रहे । काशी के सुरम्य वातावरण में स्वाध्याय, ज्ञान, जप, यज्ञ, दान, सत्संग एवम् साधन की प्रवणता परीलक्षित होती थी।

PDF Book पढने के लिए यहां क्लिक करें

163.0K
24.4K

Comments

Security Code

76733

finger point right
वेदधारा की समाज के प्रति सेवा सराहनीय है 🌟🙏🙏 - दीपांश पाल

Ram Ram -Aashish

वेद धारा समाज के लिए एक महान सीख औऱ मार्गदर्शन है -Manjulata srivastava

आपका प्रयास सराहनीय है,आप सनातन संस्कृति को उन्नति के शिखर पर ले जा रहे हो हमारे जैसे अज्ञानी भी आप के माध्यम से इन दिव्य श्लोकों का अनुसरण कर अपने जीवन को सार्थक बनाने में लगे हैं🙏🙏🙏 -User_soza7d

शास्त्रों पर स्पष्ट और अधिकारिक शिक्षाओं के लिए गुरुजी को हार्दिक धन्यवाद -दिवाकर

Read more comments

Knowledge Bank

यशोदा और देवकी का क्या रिश्ता था?

वसुदेव और नन्दबाबा चचेरे भाई थे। देवकी वसुदेव की पत्नी थी और यशोदा नन्दबाबा की पत्नी।

यंत्र क्या हैं?

यंत्रों को देवता का शरीर माना जाता है, जबकि मंत्र को उनकी आत्मा। प्रत्येक देवता से संबंधित एक यंत्र होता है, और आगम यंत्रों के निर्माण और पूजा के लिए विशेष निर्देश देते हैं। इन्हें सोना, चांदी, तांबा या भूर्ज (भोजपत्र) जैसी विभिन्न सामग्रियों पर बनाया जा सकता है। यंत्र दो प्रकार के होते हैं: पूजा के लिए उपयोग किए जाने वाले (पूजनीय) और शरीर पर धारण किए जाने वाले (धारणीय), जिनके बारे में माना जाता है कि वे इच्छाओं को पूरा करते हैं और सुरक्षा प्रदान करते हैं।

Quiz

कुंडेश्वर भगवान कौन है?

Recommended for you

रक्षा के लिए अथर्ववेद मंत्र

रक्षा के लिए अथर्ववेद मंत्र

असपत्नं पुरस्तात्पश्चान् नो अभयं कृतम् । सविता मा दक्षि�....

Click here to know more..

हज़ारों वर्ष तपस्या करने के बाद भी अगर ऋषि मुनि लोग क्रोध और अहंकार से मुक्त नहीं होते तो आम आदमी के बारे में क्या कहना?

 हज़ारों वर्ष तपस्या करने के बाद भी अगर ऋषि मुनि लोग क्रोध और अहंकार से मुक्त नहीं होते तो आम आदमी के बारे में क्या कहना?

Click here to know more..

भगवद गीता - अध्याय 10

भगवद गीता - अध्याय 10

अथ दशमोऽध्यायः । विभूतियोगः । श्रीभगवानुवाच - भूय एव महा....

Click here to know more..