कार्तिक मास कृष्ण पक्ष त्रयोदशी के दिन धन तेरस मनाया जाता है।

उस दिन घर घर में लक्ष्मी जी की पूजा और आरती होती है।

इस पूजन से धन संपत्ति और समृद्धि बढती है।

धन तेरस की कथा

एक बार भगवान श्रीमन्नारायण लक्ष्मी जी के साथ पृथ्वी पर आये।

उत्तर भारत में पर्यटन करने के बाद भगवान लक्ष्मी जी से बोले: मैं दक्षिण में जाकर आता हूं; तुम यहीं रुक जाओ।

लेकिन माता भी भगवान के पीछे पीछे चलने लगी।

सरसों के खेतों का देश पार करके भगवान गन्ने के खेतों के देश पहुंचे।

पीछे मुडकर देखा तो लक्ष्मी जी खेत से एक गन्ना तोडकर चबा रही थी।

भगवान को बडा गुस्सा आया; तुम ऐसी चपलता करती ही रहती हो।

अब जिसका यह खेत है उसके घर में बारह साल रहकर उसकी सेवा करो।

माता उस किसान के घर जाकर एक सेविका बनकर रहने लगी।

बारह सालों में वह उस इलाके का सबसे बडा जमीन्दार बन गया।

उसका घर धन संपत्ति से भरपूर हो गया।

बारह साल बाद भगवान एक आदमी के वेश में आये और किसान को बोले: मैं इसका पति हूं; इसे वापस घर ले जाने आया हूं।

किसान ने कहा: इसे मैं छोड नहीं सकता।

इसके आने के बाद मेरे घर में खुशहाली आयी है।

यह कहकर किसान अपने परिवार के साथ गंगा जी में स्नान करने निकला।

उस दिन कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि थी।

नदी पहुंचे तो गंगा जी ने उसे समझाया: तुम्हारे घर में बारह सालों से जो रहती आ रही है वह लक्ष्मी देवी है और उसके पति के रूप में मानव बनकर जो आया है वह भगवान नारायण है।

माता लक्ष्मी को वापस जाने मत देना; तुम पहले जैसे बन जाओगे।

किसान ने वापस आकर दिव्य दंपति के सामने साष्टांग नमस्कार किया और बोला: मैं आपको वापस जाने नहीं दूंगा; हमारे साथ सदा यहीं रहिए।

लक्ष्मी जी बोली: तुम सदाचारी हो।

मैं तुम पर प्रसन्न हूं।

मैं किसी एक स्थान पर ज्यादा समय रहती नहीं हूं।

फिर भी अगर कोई हर साल कार्तिक मास कृष्ण पक्ष त्रयोदशी के दिन मेरी पूजा करते रहेगा तो उसकी धन संपत्ति बढती ही रहेगी।

यह दिन धन तेरस और धन त्रयोदशी के नाम से प्रसिद्ध होगा।

यह एक रहस्य है।

इसे अच्छे लोगों को ही बताना।

इतना कहकर किसान और उसके परिवार को आशीर्वाद देकर लक्ष्मी जी और भगवान अदृश्य हो गये।

 

धन तेरस के दिन सूर्यास्त के बाद हर घर में लक्ष्मी जी आती है।

उस समय घी का दिया जलाकर उनकी पूजा करने से माता हर प्रकार की समृद्धि का आशीर्वाद देती है।

धन तेरस की आरती

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।

तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥

ॐ जय लक्ष्मी माता...

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग माता ।

सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥

ॐ जय लक्ष्मी माता...

दुर्गा रूप निरंजनि, सुख-संपत्ति दाता ।

जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ॥

ॐ जय लक्ष्मी माता...

तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता ।

कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी, भव निधि की त्राता ॥

ॐ जय लक्ष्मी माता...

जिस घर तुम रहती हो, सब सद्‍गुण आता ।

सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता ॥

ॐ जय लक्ष्मी माता...

तुम बिन यज्ञ न होता, वस्त्र न कोई पाता ।

खान पान का वैभव, सब तुमसे आता ॥

ॐ जय लक्ष्मी माता...

शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता ।

रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता ॥

ॐ जय लक्ष्मी माता...

महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता ।

उँर आंनद समाता, पाप उतर जाता ॥

ॐ जय लक्ष्मी माता...

 

103.5K
15.5K

Comments

Security Code

60557

finger point right
वेदधारा चैनल पर जितना ज्ञान का भण्डार है उतना गुगल पर सर्च करने पर सटीक जानकारी प्राप्त नहीं हो सकती है। बहुत ही सराहनीय कदम है -प्रमोद कुमार

वेद पाठशालाओं और गौशालाओं के लिए आप जो कार्य कर रहे हैं उसे देखकर प्रसन्नता हुई। यह सभी के लिए प्रेरणा है....🙏🙏🙏🙏 -वर्षिणी

कृपया अतुल को उसकी पढ़ाई के लिए, कुमार को करियर के लिए, और नेहा और लक्ष्मी को अच्छे स्वास्थ्य और लंबी उम्र के लिए आशीर्वाद दें। धन्यवाद 🙏🌸 -Anil Singh

आपके प्रवचन हमेशा सही दिशा दिखाते हैं। 👍 -स्नेहा राकेश

शास्त्रों पर गुरुजी का मार्गदर्शन गहरा और अधिकारिक है 🙏 -Ayush Gautam

Read more comments

Knowledge Bank

शिवलिंग की कहानी क्या है?

ब्रह्मा जी और विष्णु जी बहस कर रहे थे कि उनके बीच कौन ज्यादा श्रेष्ठ हैं। उस समय शिव जी उनके सामने एक अनादि और अनन्त अग्नि स्तंभ के रूप में प्रकट हुए जिसका न विष्णु जी न आधार ढूंढ पाये न ब्रह्मा जी शिखर ढूंढ पाए। इस अग्नि स्तंभ का प्रतीक है शिवलिंग।

हरिद्वार में कौन सी माताजी का मंदिर है?

हरिद्वार में माताजी के तीन मंदिर प्रसिद्ध हैं - चंडी देवी मंदिर, माया देवी मंदिर, मनसा देवी मंदिर।

Quiz

कृत्तिका नक्षत्र का स्वामी कौन हैं ?

Recommended for you

आरती कुंज बिहारी की

आरती कुंज बिहारी की

Click here to know more..

सर्प यज्ञ का वर्णन

सर्प यज्ञ का वर्णन

जनमेजय ने अपने पिता, राजा परीक्षित की मृत्यु का बदला लेने ....

Click here to know more..

शिव पंचाक्षर स्तोत्र

शिव पंचाक्षर स्तोत्र

नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय। न�....

Click here to know more..