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Yeah website hamare liye to bahut acchi hai Sanatan Dharm ke liye ek Dharm ka kam kar rahi hai -User_sn0rcv
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 -मदन शर्मा
आपकी सेवा से सनातन धर्म का भविष्य उज्ज्वल है 🌟 -mayank pandey
कृपया अतुल को उसकी पढ़ाई के लिए, कुमार को करियर के लिए, और नेहा और लक्ष्मी को अच्छे स्वास्थ्य और लंबी उम्र के लिए आशीर्वाद दें। धन्यवाद 🙏🌸 -Anil Singh
आपका प्रयास सराहनीय है,आप सनातन संस्कृति को उन्नति के शिखर पर ले जा रहे हो हमारे जैसे अज्ञानी भी आप के माध्यम से इन दिव्य श्लोकों का अनुसरण कर अपने जीवन को सार्थक बनाने में लगे हैं🙏🙏🙏 -User_soza7d
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वैभव लक्ष्मी का ध्यान श्लोक क्या है?
आसीना सरसीरुहे स्मितमुखी हस्ताम्बुजैर्बिभ्रति दानं पद्मयुगाभये च वपुषा सौदामिनीसन्निभा । मुक्ताहारविराजमानपृथुलोत्तुङ्गस्तनोद्भासिनी पायाद्वः कमला कटाक्षविभवैरानन्दयन्ती हरिम् ॥
देवकार्य की अपेक्षा पितृकार्य की विशेषता
देवकार्यादपि सदा पितृकार्यं विशिष्यते । देवताभ्यो हि पूर्वं पितॄणामाप्यायनं वरम्॥ (वायु तथा ब्रह्मवैवर्त पुराण) - देवकार्य की अपेक्षा पितृकार्य की विशेषता मानी गयी है। अतः देवकार्य से पूर्व पितरोंको तृप्त करना चाहिये।