गर्ग संहिता के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का परम धाम गोलोक है जो कैलाश और वैकुण्ठ से भी ऊपर है।
वहां भगवान, राधा रानी और गोपीजनों के साथ निवास करते हैं।
पृथ्वी को दुष्ट असुरों से बचाने के लिए भगवान ने वसुदेव और देवकी के पुत्र के रूप में अवतार लिया।
उस समय गोलोक से राधा जी भी वृषभानु पुत्री राधा के रूप में वृन्दावन में अवतार ली।
गोलोक के गोपीजन वृन्दावन के गोप और गोपिका बन गये।
इसका प्रमाण है -
भगवानुवाच - त्वया सह गमिष्यामि मा शोचं कुरु राधिके।
हरिष्यामि भुवो भारं करिष्यामि वचस्तव॥ (ग.सं. ३.३१)
इसके अनुसार राधा गोलोक में भगवान श्रीकृष्ण की वल्लभा राधा रानी का ही अवतार थी।
वेरावल, गुजरात के पास भालका तीर्थ में श्री कृष्ण ने अपना भौतिक शरीर त्याग दिया था। इसके बाद भगवान वैकुण्ठ को चले गये। भगवान के शरीर का अंतिम संस्कार उनके प्रिय मित्र अर्जुन ने भालका तीर्थ में किया था।
शिव पुराण के अनुसार शिव से पहले कोई नहीं था। शिव ही परब्रह्म हैं जिनसे जगत की उत्पत्ति हुई।
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