धर्म-सम्बन्धी तात्त्विक बाल-प्रश्नोत्तरी
ईश्वर क्या है?
यह तो नहीं बताया जा सकता; क्योंकि कौन कितना बड़ा विद्वान् है, यह बात उससे बड़ा विद्वान् ही ठीक-ठीक बता सकता है और ईश्वर से बड़ा कोई है नहीं। सर्वशक्तिमान् ईश्वर पूरी तरह ठीक-ठीक न जाना जा सकता है, न उसका वर्णन ही हो सकता है। लेकिन ईश्वर है, यह बात सवा सोलह आने सच्ची है। जैसे कपड़े को देखकर, उसका कोई बनानेवाला है, यह समझा जाता है, वैसे ही संसार का भी कोई बनानेवाला होना चाहिये, यह स्पष्ट है। संसार इतना नियमपूर्वक चलता है और फिर इतनी आश्चर्यजनक घटनाएँ इस संसार में होती रहती हैं कि उन घटनाओं का बड़े-बड़े वैज्ञानिक भी कोई कारण नहीं समझ पाते। इन सब बातोंसे ईश्वरकी सत्ता सिद्ध होती है।
भक्ति बुद्धि का नहीं बल्कि हृदय का विषय है; यह परमात्मा के लिए आत्मा की लालसा है।
एक सम्राट था वेन। बडा अधर्मी और चरित्रहीन। महर्षियों ने उसे शाप देकर मार दिया। उसके बाद अराजकता न फैलें इसके लिए महर्षियों ने वेन के शरीर का मंथन करके राजा पृथु को उत्पन्न किया। तब तक अत्याचार से परेशान भूमि देवी ने सारे जीव जालों को अपने अंदर खींच लिया था। उन्हें वापस करने के लिए राजा ने कहा तो भूमि देवी नही मानी। राजा ने अपना धनुष उठाया तो भूमि देवी एक गाय बनकर भाग गयी। राजा ने तीनों लोकों में उसका पीछा किया। गौ को पता चला कि यह तो मेरा पीछा छोडने वाला नहीं है। गौ ने राजा को बताया कि जो कुछ भी मेरे अंदर हैं आप मेरा दोहन करके इन्हें बाहर लायें। आज जो कुछ भी धरती पर हैं वे सब इस दोहन के द्वारा ही प्राप्त हुए।
गाय का दूध बढ़ाने का मंत्र
नदी के किनारे २१ दिनों तक एक माला जपें। आटे की गोलियां मछल....
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ॐ सुरश्रेष्ठाय नमः। ॐ महाबलसमन्विताय नमः। ॐ गुडान्नादा....
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न्यङ्कावरातिभयशङ्काकुले धृतदृगङ्कायतिः प्रणमतां शङ्क....
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