पुलस्त्य जी बोले - तत्पश्चात् भीरुओं के लिये भय बढ़ानेवाला समर आरम्भ हो गया।हजार नेत्रोंवाले इन्द्र अपने विशाल धनुष को लेकर बाणों की वर्षा करने लगे। अन्धक भी अपने दीप्तिमान् धनुष को लेकर बड़े वेग से मयूरपंख लगे बाणों को इन्द्र पर छोड़ने लगा। वे दोनों एक-दूसरे को झुके हुए पर्वोंवाले स्वर्णपंखयुक्त तथा महावेगवान् तीक्ष्ण बाणों से आहत कर दिये। फिर इन्द्र ने क्रुद्ध होकर वज्र को अपने हाथ से घुमाकर उसे अन्धक के ऊपर फेंका। नारदजी! अंधक ने उसे आते देखा। उसने बाणों, अस्त्रों और शस्त्रों से उसपर प्रहार किया; पर अग्नि जिस प्रकार वनों, पर्वतों या वृक्षों को भस्म कर देती है, उसी प्रकार उस वज्र ने उन सभी अस्त्रों को भस्म कर डाला॥१-५॥

तब बलवानों में श्रेष्ठ अन्धक अति वेगवान् वज्र को आते देखकर रथ से कूदकर बाहुबल का आश्रय लेकर पृथ्वी पर खड़ा हो गया। वह वज्र, सारथि, अश्व, ध्वजा एवं कूबर के साथ रथ को भस्म कर इन्द्र के पास पहुंच गया। उस वज्र को वेगपूर्वक आते देख बलवान् अन्धक ने मुष्टि से मारकर उसे भूमिपर गिरा दिया और गर्जन करने लगा।

आगे पढने के लिए यहां क्लिक करें

137.0K
20.5K

Comments

Security Code

43621

finger point right
बहुत बढिया चेनल है आपका -Keshav Shaw

वेदधारा हिंदू धर्म के भविष्य के लिए जो काम कर रहे हैं वह प्रेरणादायक है 🙏🙏 -साहिल पाठक

यह वेबसाइट बहुत ही उपयोगी और ज्ञानवर्धक है।🌹 -साक्षी कश्यप

अति सुन्दर -User_slbo5b

वेदधारा का कार्य अत्यंत प्रशंसनीय है 🙏 -आकृति जैन

Read more comments

Knowledge Bank

सूत और शूद्र में क्या अंतर है?

शूद्र चातुर्वर्ण्य व्यवस्था का एक वर्ण है। सूत ब्राह्मण स्त्री में उत्पन्न क्षत्रिय की सन्तान है । वर्ण व्यवस्था के अनुसार सूत का स्थान क्षत्रियों के नीचे और वैश्यों के ऊपर था पेशे से ये पुराण कथावाचक और सारथी होते थे।

पर्जन्य अस्त्र

पर्जन्य अस्त्र का उपयोग प्राचीन समय में युद्धों के दौरान किया जाता था। यह एक प्रकार का बाण था, जिसके उपयोग से भारी वर्षा होती थी। पर्जन्य अस्त्र की मदद से शत्रु के अग्नि बाणों को शांत किया जा सकता था। ये वे अस्त्र हैं, जो मन्त्रों के माध्यम से सक्रिय किए जाते हैं। प्रत्येक अस्त्र का संबंध किसी विशेष देवता से होता है और इन्हें मन्त्रों और तंत्रों के माध्यम से संचालित किया जाता है। इन्हें दिव्य और मान्त्रिक अस्त्र कहा जाता है।

Quiz

राणी सती का सबसे बडा मन्दिर कहां स्थित है ?

Recommended for you

साहस के लिए हनुमान मंत्र

साहस के लिए हनुमान मंत्र

ॐ नमो हरिमर्कटमर्कटमहावीराय स्वाहा....

Click here to know more..

माया के वशीभूत भगवान भी कभी छलपूर्वक व्यवहार करने जैसे लगते है

माया के वशीभूत भगवान भी कभी छलपूर्वक व्यवहार करने जैसे लगते है

Click here to know more..

सिंधु स्तोत्र

सिंधु स्तोत्र

भारतस्थे दयाशीले हिमालयमहीध्रजे| वेदवर्णितदिव्याङ्गे �....

Click here to know more..