रघुनाथ मंदिर -  विवरणात्मक परिचय 

इस परिसर में मुख्य मंदिर दशरथ के पुत्र रघुवंश की कीर्ति को अमर करने वाले श्रीराम, उनकी पत्नी सीता तथा उनके स्नेही और सेवक लक्ष्मण का है। श्रीराम की मूर्ति काले संगमरमर की है और सीता तथा लक्ष्मण की श्वेत संगमरमर की। इस मंदिर के इर्द-गिर्द चौदह दूसरे विशाल मंदिर भी स्थापित हैं जिनमें क्रम से शेषनाग की शैया पर विश्राम करते हुए विष्णु और उनकी चरण सेवा करती हुई लक्ष्मी, गणपति गणेश, कैकेयी के पुत्र भरत, सुमित्रा के छोटे पुत्र और लक्ष्मण के छोटे भाई शत्रुघ्न, नृसिंह, राधा-कृष्ण, वामन, वराह, महालक्ष्मी, मत्स्य, कश्यप, विराट, भगवान् शिव और सूर्य तथा सत्यनारायण की आदमकद मूर्ति हैं । रघुनाथ जी का मन्दिर सबसे बड़ा और सबसे ऊंचा है। इस मंदिर परिसर के चारों कोनों में स्थित गणेश, राधा-कृष्ण, महालक्ष्मी और शिव के मंदिर इससे कुछ छोटे हैं तथा इन सब पर कलश हैं।।

बाकी के दस मंदिर बड़े-बड़े होने पर भी ऊंचाई और विशालता में इनसे कुछ कम हैं। श्रीरघुनाथ मंदिर की पहली परिक्रमा में जयविजय, राहु-केतु, शनिदेव, पूर्वदिशा, दक्षिणदिशा, पश्चिमदिशा और उत्तरदिशा की छोटी-छोटी मूर्तियां हैं। पूरी परिक्रमा संगमरमर की सफेद और काले रंग की शिलाओं से सुशोभित है। 

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५१ शक्ति पीठों का महत्व क्या है?

शक्ति पीठ भारतीय उपमहाद्वीप के विभिन्न हिस्सों में स्थित पवित्र स्थलों की एक श्रृंखला है, जो प्राचीन काल से अपने आध्यात्मिक महत्व के लिए पूजनीय हैं। देवी सती अपने पिता दक्ष के याग में भाग लेने गयी। वहां उनके पति महादेव का अपमान हुआ। माता सती इसे सहन नहीं कर पायी और उन्होंने यागाग्नि में कूदकर अपना प्राण त्याग दिया। भगवान शिव सती के मृत शरीर को लिए तांडव करने लगे। भगवान विष्णु ने उस शरीर पर अपना सुदर्शन चक्र चलाया। उसके अंग और आभूषण ५१ स्थानों पर गिरे। ये स्थान न केवल शक्तिशाली तीर्थस्थल बन गए हैं, बल्कि दुनिया भर के भक्तों को भी आकर्षित करते हैं जो आशीर्वाद और सिद्धि चाहते हैं।

गणेश का अर्थ

संस्कृत में गण का अर्थ है समूह और ईश का अर्थ है प्रभु। गणेश का अर्थ है समूहों के स्वामी। वैदिक दर्शन में सब कुछ समूहों में विद्यमान है। उदाहरण के लिए: ११ रुद्र, १२ आदित्य, ७ समुद्र, ५ संवेदी अंग, ४ वेद, १४ लोक आदि। गणेश ऐसे सभी समूहों के स्वामी हैं जिसका अर्थ है कि वह हर वस्तु और प्राणी के स्वामी हैं।

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