सन्तान कितनी प्रिय वस्तु है। जिसके उत्पन्न होने से वंश की वृद्धि होती है। आजकल देखने में आता है कि जब सन्तान बड़ी हो जाती है तो वह माता-पिता की आज्ञा नहीं मानती और सामना करने के लिए आ जाती है। क्या कभी हमने बैठकर विचार किया कि इसका क्या कारण है। जब मैंने इस बात को विचारा, तो तत्काल मस्तिष्क में यह प्रश्न उठा कि सन्तान उत्पन्न की जाती है या हो जाती है। खोज करने पर ज्ञात हुआ कि पहले पूर्वज सन्तान को उत्पन्न करते थे, तभी उनके सदृश गुण वाली और आज्ञानुसार कार्य करने वाली होती थी। योगीराज श्रीकृष्ण तथा उनकी पत्नी रुक्मिणी दोनों ने १२ वर्ष का ब्रह्मचर्य व्रत धारण करके अपने रज, वीर्य को शुद्ध पवित्र करके अपने सदृश प्रद्युम्न पुत्र को जन्म दिया। जिस समय प्रद्युम्न युवाकाल में आया उस समय यदि माता रुक्मिणी के सामने प्रद्युम्न अकेला आता था तो रुक्मिणी भ्रम में पड़ जाती थी कि यह पुत्र है या पति।

आगे पढने के लिए यहां क्लिक करें

174.7K
26.2K

Comments

Security Code

26230

finger point right
आपकी मेहनत से सनातन धर्म आगे बढ़ रहा है -प्रसून चौरसिया

इस परोपकारी कार्य में वेदधारा का समर्थन करते हुए खुशी हो रही है -Ramandeep

हम हिन्दूओं को एकजुट करने के लिए यह मंच बहुत ही अच्छी पहल है इससे हमें हमारे धर्म और संस्कृति से जुड़कर हमारा धर्म सशक्त होगा और धर्म सशक्त होगा तो देश आगे बढ़ेगा -भूमेशवर ठाकरे

वेदधारा से जुड़ना एक आशीर्वाद रहा है। मेरा जीवन अधिक सकारात्मक और संतुष्ट है। -Sahana

वेदधारा से जब से में जुड़ा हूं मुझे अपने जीवन में बहुत कुछ सीखने को मिला वेदधारा के विचारों के माध्यम से हिंदू समाज के सभी लोगों को प्रेरणा लेनी चाहिए। -नवेंदु चंद्र पनेरु

Read more comments

Knowledge Bank

सरल किसान की भक्ति - सच्ची धार्मिकता का एक पाठ

नारद ने भगवान विष्णु से पूछा कि उनके सबसे महान भक्त कौन हैं, यह उम्मीद करते हुए कि उनका अपना नाम सुनने को मिलेगा। विष्णु ने एक साधारण किसान की ओर इशारा किया। उत्सुक होकर, नारद ने उस किसान का अवलोकन किया, जो अपनी दैनिक मेहनत के बीच सुबह और शाम को संक्षेप में विष्णु को याद करता था। नारद, निराश होकर, ने विष्णु से फिर से प्रश्न किया। विष्णु ने नारद से कहा कि वह पानी का एक बर्तन दुनिया भर में बिना गिराए घुमाएं। नारद ने ऐसा किया, लेकिन यह महसूस किया कि उन्होंने एक बार भी विष्णु के बारे में नहीं सोचा। विष्णु ने समझाया कि किसान, अपने व्यस्त जीवन के बावजूद, उन्हें प्रतिदिन दो बार याद करता है, जो सच्ची भक्ति को दर्शाता है। यह कहानी सिखाती है कि सांसारिक कर्तव्यों के बीच ईमानदार भक्ति का महान मूल्य होता है। यह इस बात पर जोर देती है कि सच्ची भक्ति को दिव्य स्मरण की गुणवत्ता और निरंतरता से मापा जाता है, चाहे दैनिक जिम्मेदारियों के बीच ही क्यों न हो, यह दर्शाती है कि छोटे, दिल से किए गए भक्ति के कार्य भी दिव्य कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

भगवान श्री कृष्ण का अंतिम संस्कार कैसे हुआ?

वेरावल, गुजरात के पास भालका तीर्थ में श्री कृष्ण ने अपना भौतिक शरीर त्याग दिया था। इसके बाद भगवान वैकुण्ठ को चले गये। भगवान के शरीर का अंतिम संस्कार उनके प्रिय मित्र अर्जुन ने भालका तीर्थ में किया था।

Quiz

सबसे पहले श्राद्ध किसने किया था ?

Recommended for you

नागमाता ने अपने पुत्रों को क्यों श्राप दिया?

नागमाता ने अपने पुत्रों को क्यों श्राप दिया?

कद्रू ने गुस्से में आकर अपने ही पुत्रों को शाप दे दिया: तु�....

Click here to know more..

ज्ञानियों को सिर्फ मोक्ष की ही इच्छा होती है

ज्ञानियों को सिर्फ मोक्ष की ही इच्छा होती है

Click here to know more..

स्कंद स्तव

स्कंद स्तव

ऐश्वर्यमप्रतिममत्रभवान्कुमारः सर्वत्र चावहतु नः करुण�....

Click here to know more..