Ramayana happened in the 24th Treta yuga. We are presently in the 28th Kali yuga.
Durga Devi represents the combined power of all the Devas. When Devas were ousted from e Swarga by Mahishasura, their anger came out of their bodies, merged together, and became a mountain of fire. This later assumed a feminine form as Durga Devi. She manifested to eliminate the evil Mahishasura and protect the Devas.
महाभारत के आस्तिक पर्व का इक्कीसवां अध्याय में समुद्र का वर्णन है। कद्रू और विनता अपनी बाजी के अनुसार उच्चैश्रवस की पूंछ का रंग पता करने जाते हैं। काली है तो विनता कद्रू की दासी बनेगी। सफेद है तो कद्रू विनता की दासी बनेगी�....
महाभारत के आस्तिक पर्व का इक्कीसवां अध्याय में समुद्र का वर्णन है।
कद्रू और विनता अपनी बाजी के अनुसार उच्चैश्रवस की पूंछ का रंग पता करने जाते हैं।
काली है तो विनता कद्रू की दासी बनेगी।
सफेद है तो कद्रू विनता की दासी बनेगी।
रास्ते में समुद्र आता है।
इस मौके का फायदा उठाकर महाभारत हमें समुद्र के बारे में कुछ सिखाता है।
समुद्र मे लाखों अलग अलग अलग जंतु निवास करते हैं।
जैसे तिमिंगिल - व्हेल।
व्हेल को संस्कृत में तिमिंगिल कहते हैं।
तिमिं गिलतीति तिमिंगिलः।
तिमि एक बहुत बडी मछली है।
तिमि को भी निगल लेनेवाला है तिमिंगिल।
समुद्र सरितां पतिः है।
नदियों का पति।
समुद्र वरुण देव का निवास स्थान है।
समुद्र में अनमोल मणि, रत्न हैं।
समुद्र में अग्नि है जिसका नाम है वाडवानल या बाडवानल।
इस अग्नि की उत्पत्ति के बारे में एक दिल्चस्प कहानी है।
एक मुनि थे उर्व।
उनको संतान चाहिए था पर विवाह किये बिना।
तो उन्होंने कुश से अपनी जांघ को रगडा तो उसमें से एक आग निकल आयी।
यह है वाडवानल, बाडवानल।
जनम लेते ही वाडवानल भडक उठकर भयानक आकार का हो गया।
बोला मुझे बहुत भूख लगी है।
और तीनों लोकों का भक्षण करने लगा।
ब्रह्मा जी आये और बोले -
इसे ऐसे नहीं छोड सकते।
तीनों लोकों को समाप्त कर लेगा।
इसके लिए एक स्थान और भोजन निश्चित करना पडेगा।
समुद्र इसका स्थान रहेगा।
बडवा अर्थ है घोडी।
समुद्र की घोडी का मुंह इसका स्थान रहेगा
आपने अश्वमीन को देखा है?
इसे अंग्रेजी मे sea horse कहते हैं।
इसमें और आग में समानता है।
आग को अगर इन्धन नही मिलता रहेगा तो आग बुछ जाएगी।
अश्वमीन को भी जीवित रहने के लिए लगातार खाना पडता है।
और अश्वमीन भी आग के जैसे धीरे धीरे खाता है।
वाडवानल का भोजन जल ही है।
वाडवानल में लगातार जल की आहुतियां दी जाती है।
इसके सिवा और किसी वस्तु से वाडवानल की भूख शांत नही हो सकती।
समुद्र का पानी ही मेघ बनकर बरसकर नदी, कुंआ, तालाब इत्यादियों को पानी उपलब्ध कराता है।
महाभारत समुद्र के बार में कहता है -
वेलादोलानिलचलं क्षोभोद्वेगसमुच्छ्रितं
हवा के कारण ही लहरें होती हैं और चन्द्र वृद्धि क्षय वशात् उद्वृत्तोर्मिसमाकुम्।
चन्द्रमा की वृद्धि और क्षय के अनुसार ही ज्वार भाटा होता रहता है।
समुद्र का पानी मलिन है
यह इसलिए है कि भूमि को समुद्र के तल से वापस पा लेने भगवान ने जब वराहावतार लिया उस समय की हलचल की वजह से।
समुद्र असुरों का बन्धु है।
देवों को साथ युद्ध में जब हारते हैं तो समुद्र ही उनको आश्रय देता है।
डिम्बाहवार्दितानां च असुराणां परायणम्।
असुर पहले वरुण भगवान के भक्त थे।
अत्रि महर्षि एक बार समुद्र के तल को ढूंढकर गये।
कई सालों के बाद भी नहीं मिला।
पाताल लोक में जाकर देखा तो उसके नीचे भी समुद्र था।
इसका अर्थ क्या है, पता है?
अमरीका और अफ्रीका को पाताल कहते हैं जो भारतवर्ष से पृथ्वी के उस पार है, जो असुरों का वास स्थान हुआ करता था - पाताल।
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