नारायणं नमस्कृत्य नरं चैव नरोत्तमम्।
देवीं सरस्वतीं व्यासं ततो जयमुदीरयेत्॥
बदरिकाश्रम निवासी प्रसिद्ध ऋषि श्रीनारायण तथा श्रीनर (अन्तर्यामी नारायणस्वरूप भगवान् श्रीकृष्ण तथा उनके नित्य-सखा नरस्वरूप नरश्रेष्ठ अर्जुन), उनकी लीला प्रकट करनेवाली भगवती सरस्वती और उनकी लीलाओं के वक्ता महर्षि वेदव्यासको नमस्कार कर जय*-आसुरी सम्पत्तियोंका नाश करके अन्तःकरण पर दैवी सम्पत्तियों को विजय प्राप्त करानेवाले वाल्मीकीय रामायण, महाभारत एवं अन्य सभी इतिहास-पुराणादि सद्ग्रन्थोंका पाठ करना चाहिये।
जयति पराशरसूनुः सत्यवतीहृदयनन्दनो व्यासः।
यस्यास्यकमलगलितं वाङ्मयममृतं जगत् पिबति।
पराशर के पुत्र तथा सत्यवती के हृदयको आनन्दित करनेवाले भगवान् व्यास की जय हो, जिनके मुखकमल से नि:सृत अमृतमयी वाणीका यह सम्पूर्ण विश्व पान करता है।
हनुमान साठिका पढनेवाले भक्तों के संकट हनुमान जी समाप्त कर लेते हैं । वे उनकी रक्षा करते हैं । उनकी मनोकामनायें पूर्ण हो जाती हैं ।
आरती कीजै हनुमान लला की, गोस्वामी तुलसीदास जी की रचना है।