तन्त्रों के बारे में अनेक भ्रम फैले हुए हैं। हम शिक्षितों को छोड दें,तब भी शिक्षित समाज तन्त्र की वास्तविक भावना से दूर केवल परंपरा - मूलक धारणाओं के आधार पर इस भ्रम से नहीं छूट पाया है कि तन्त्र का अर्थ है जादू - टोना। अधिकांश जन सोचते हैं कि जैसे सडक पर खेल करने वाला बाजीगर कुछ समय के लिए अपने करतब दिखलाकर लोगों को आश्चर्य में डाल देता है उसी प्रकार तन्त्र भी कुछ करतब दिखाने मात्र का शास्त्र होता होगा और जैसे बाजीगर की सिद्धि क्षणिक होती है वैसे ही तान्त्रिक सिद्धि भी क्षणिक होगी।
ॐ आरिक्षीणियम् वनस्पतियायाम् नमः । बहुतेन्द्रीयम् ब्रहत् ब्रहत् आनन्दीतम् नमः । पारवितम नमामी नमः । सूर्य चन्द्र नमायामि नमः । फुलजामिणी वनस्पतियायाम् नमः । आत्मानियामानि सद् सदु नमः । ब्रम्ह विषणु शिवम् नमः । पवित्र पावन जलम नमः । पवन आदि रघुनन्दम नमः । इति सिद्धम् ।
कटरा से, एक दिन वैष्णो देवी मंदिर जाने और वापस आने के लिए पर्याप्त है।
धन्वन्तरि गायत्री
आदिवैद्याय विद्महे सुधाहस्ताय धीमहि तन्नो धन्वन्तरिः प....
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ब्रह्मलोके च ये....
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ॐ दिगम्बराय नमः । ॐ वैराग्याम्बराय नमः । ॐ ज्ञानाम्बराय �....
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