प्रकरण - १
विद्या विषयक विचार
दर्शन शास्त्र, वेद, संपत्ति शास्त्र तथा राजनीति शास्त्र यह चार विद्याएं हैं।
मनु संप्रदाय के विद्वान अंतिम तीन को ही विद्या समझते हैं और आन्वीक्षकी या दर्शन शास्त्र को तीनों वेद का एक भाग प्रगट करते हैं।
बृहस्पति मतानुयायी केवल अंतिम दो ही को विद्या मानते हैं और कहते हैं कि तीनों वेद तो दुनियादार लोगों के लिए आजीविका का सहारा है।
१. सत्त्वगुणप्रधान ज्ञानशक्ति २. रजोगुणप्रधान क्रियाशक्ति ३. तमोगुणप्रधान मायाशक्ति ४. विभागों में विभक्त प्रकृतिशक्ति ५. अविभक्त शाम्भवीशक्ति (मूलप्रकृति)।
कलौ चण्डीविनायकौ - कलयुग में चण्डी और गणेश जी के मंत्र जल्दी सिद्ध होते हैं।
मानसिक शक्ति के लिए हनुमान मंत्र
ॐ हं हनुमते नमः....
Click here to know more..जीवन को सुन्दर कैसे बनायें?
आइए देखते हैं - वेद इसके बारे में वेद क्या कहते हैं।....
Click here to know more..हरिनाम अष्टक स्तोत्र
नारदवीणोज्जीवनसुधोर्मिनिर्यासमाधुरीपूर । त्वं कृष्णन....
Click here to know more..