श्लोक - वर्णानामर्थसङ्घानां रसानां छन्दसामपि।

मङ्गलानां च कर्तारौ वन्दे वाणीविनायकौ॥

अक्षर, अर्थ-समूह, रस, छन्द और मङ्गल के करनेवाले सरस्वती और गणेश जी को मैं प्रणाम करता हूं।

भवानीशङ्करौ वन्दे श्रद्धाविश्वासरूपिणौ।

याभ्यां विना न पश्यन्ति सिद्धाः स्वान्तः स्थमीश्वरम्॥

श्रद्धा और विश्वासरूपी भवानी-श्ङ्कर की मैं वन्दना करता हूं जिनके बिना सिद्धजन अपने हृदय में स्थित ईश्वर को नहीं देखते।

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हार्दिक आभार। -प्रमोद कुमार शर्मा

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