धर्म ही जिसका सुदृढ मूल है, वेद जिसका तना है, पुराणरूपी शाखाओं से जो समृद्ध है, यज्ञ जिसका पुष्प है और मोक्ष जिसका फल है, ऐसे भगवान मधुसूदनरूपी कल्पवृक्ष की जय हो। देव - क्षेत्र नैमिषारण्य में स्वर्गलोक की प्राप्ति की कामना से शौनकादि ऋषियों ने एक बार सहस्र वर्ष में पूर्ण होनेवाला यज्ञ प्रारम्भ किया।

आगे पढने के लिए यहां क्लिक करें

109.6K
16.4K

Comments

Security Code

28920

finger point right
आपकी वेबसाइट बहुत ही मूल्यवान जानकारी देती है। -यशवंत पटेल

हिंदू धर्म के पुनरुद्धार और वैदिक गुरुकुलों के समर्थन के लिए आपका कार्य सराहनीय है - राजेश गोयल

वेदधारा के माध्यम से मिले सकारात्मकता और विकास के लिए आभारी हूँ। -Varsha Choudhry

यह वेबसाइट ज्ञान का खजाना है। 🙏🙏🙏🙏🙏 -कीर्ति गुप्ता

आपके शास्त्रों पर शिक्षाएं स्पष्ट और अधिकारिक हैं, गुरुजी -सुधांशु रस्तोगी

Read more comments

Knowledge Bank

शिव पुराण के अनुसार भस्म धारण करना क्यों महत्वपूर्ण है?

भस्म धारण करने से हम भगवान शिव से जुड़ते हैं, परेशानियों से राहत मिलती है और आध्यात्मिक संबंध बढ़ता है।

वेङ्कटेश सुप्रभातम् के रचयिता कौन है?

श्रीवेङ्कटेश सुप्रभातम् के रचयिता हैं प्रतिवादि भयंकरं अण्णन्।

Quiz

एक असुर की पुत्री स्वर्ग की रानी बन गई । कौन है यह ?

Recommended for you

पुराणों का विकास

पुराणों का विकास

जानिए- कैसे ब्रह्मा जी पृथ्वी पर रहा करते थे, पुराणों की व�....

Click here to know more..

मनस्येकं वचस्येकम्

मनस्येकं वचस्येकम्

अच्छे लोगों के मन में, वाणी में और क्रिया में एक ही चीज होत�....

Click here to know more..

अष्ट विनायक स्तोत्र

अष्ट विनायक स्तोत्र

स्वस्ति श्रीगणनायको गजमुखो मोरेश्वरः सिद्धिदो बल्लाळस�....

Click here to know more..