मीन राशि के ३ अंश २० कला से १६ अंश ४० कला तक जो नक्षत्र व्याप्त है उसे उत्तरा भाद्रपद कहते हैं।
वैदिक खगोल विज्ञान में यह छब्बीसवां नक्षत्र है।
आधुनिक खगोल विज्ञान के अनुसार उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र को γ Algenib Pegasi and α Alpheratz Andromedae कहते हैं।
उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में जन्म लेने वालों की विशेषताएं -
उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में जन्म लेने वालों को इन दिनों महत्वपूर्ण कार्य नहीं करना चाहिए और इन नक्षत्रों में जन्मे लोगों के साथ भागीदारी नहीं करना चाहिए।
उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में जन्म लेने वालों को इन स्वास्थ्य से संबन्धित समस्याओं की संभावना है-
उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में जन्म लेने वालों के लिए कुछ अनुकूल व्यवसाय-
नहीं
नीलम
काला, पीला
उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र के लिए अवकहडादि पद्धति के अनुसार नाम का प्रारंभिक अक्षर हैं-
नामकरण संस्कार के समय रखे जाने वाले पारंपरिक नक्षत्र-नाम के लिए इन अक्षरों का उपयोग किया जा सकता है।
शास्त्र के अनुसार नक्षत्र-नाम के अलावा एक व्यावहारिक नाम भी होना चाहिए जो रिकॉर्ड में आधिकारिक नाम रहेगा। उपरोक्त प्रणाली के अनुसार रखे जाने वाला नक्षत्र-नाम केवल परिवार के करीबी सदस्यों को ही पता होना चाहिए।
उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में जन्म लेने वालों के व्यावहारिक नाम इन अक्षरों से प्रारंभ न करें - ओ, औ, क, ख, ग, घ, ङ, प, फ, ब, भ, म।
सामान्य तौर पर, विवाह सुखी और शांतिपूर्ण रहेगा।
उत्तरा भाद्रपद में जन्मी महिलाएं अच्छी तरह से व्यवहार करनेवाली और अच्छे स्वभाव की होंगी।
उपाय
उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में जन्म लेने वालों के लिए सूर्य, मंगल और केतु की दशाएं आमतौर पर प्रतिकूल होती हैं।
वे निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं।
ॐ अहिर्बुध्न्याय नमः
संध्या देवी ब्रह्मा जी की मानस पुत्री थी। संध्या के सौन्दर्य को देखकर ब्रह्मा को स्वयं उसके ऊपर कामवासना आयी। संध्या के मन में भी कामवासना आ गई। इस पर उन्होंने शर्मिंदगी महसूस हुई। संध्या ने तपस्या करके ऐसा नियम लाया कि बच्चों में पैदा होते ही कामवासना न आयें, उचित समय पर ही आयें। संध्या देवी का पुनर्जन्म है वशिष्ठ महर्षि की पत्नी अरुंधति।
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