सिंह राशि के ० अंश से १३ अंश २० कला तक जो नक्षत्र व्याप्त है उसे मघा कहते हैं।
वैदिक खगोल विज्ञान में यह दसवां नक्षत्र है।
आधुनिक खगोल विज्ञान के अनुसार मघा नक्षत्र को Regulus कहते हैं।
मघा नक्षत्र में जन्म लेने वालों की विशेषताएं -
मघा नक्षत्र में जन्म लेने वालों को इन दिनों महत्वपूर्ण कार्य नहीं करना चाहिए और इन नक्षत्रों में जन्मे लोगों के साथ भागीदारी नहीं करना चाहिए।
मघा नक्षत्र में जन्म लेने वालों को इन स्वास्थ्य से संबन्धित समस्याओं की संभावना है-
मघा नक्षत्र में जन्म लेने वालों के लिए कुछ अनुकूल व्यवसाय-
अनुकूल नहीं है।
वैडूर्य
लाल ।
मघा नक्षत्र के लिए अवकहडादि पद्धति के अनुसार नाम का प्रारंभिक अक्षर हैं-
नामकरण संस्कार के समय रखे जाने वाले पारंपरिक नक्षत्र-नाम के लिए इन अक्षरों का उपयोग किया जा सकता है।
शास्त्र के अनुसार नक्षत्र-नाम के अलावा एक व्यावहारिक नाम भी होना चाहिए जो रिकॉर्ड में आधिकारिक नाम रहेगा। उपरोक्त प्रणाली के अनुसार रखे जाने वाला नक्षत्र-नाम केवल परिवार के करीबी सदस्यों को ही पता होना चाहिए।
मघा नक्षत्र में जन्म लेने वालों के व्यावहारिक नाम इन अक्षरों से प्रारंभ न करें - त, थ, द, ध, न, य, र, ल, व, ए, ऐ, ह।
मघा नक्षत्र में जन्मी स्त्रियों को सौभाग्यवती माना जाता है।
उनका दाम्पत्य जीवन अच्छा रहेगा, लेकिन मानसिक तनाव भी रहेगा।
मघा नक्षत्र में जन्म लेने वालों के लिए सूर्य, मंगल और बृहस्पति की दशाएं आमतौर पर प्रतिकूल होती हैं।
वे निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं।
ॐ पितृभ्यो नमः
सारे धार्निक शुभ कार्यों में पत्नी पति के दक्षिण भाग में रहें, इन्हें छोडकर- १. अभिषेक या अपने ऊपर कलश का तीर्थ छिडकते समय। २. ब्राह्मणॊं के पैर धोते समय। ३. ब्राह्मणों से आशीर्वाद स्वीकार करते समय। ४. सिन्दूर देते समय। ५ शांति कर्मों में। ६. मूर्ति प्रतिष्ठापन में। ७. व्रत के उद्यापन में। ८. विवाह होकर माता-पिता के घर से निकलते समय। ९. विवाह होकर पहली बार माता-पिता के घर वापस आते समय। १०. भोजन करते समय। ११. सोते समय।
ॐ जूँ सः ईँ सौः हँसः सञ्जीवनि सञ्जीवनि मम हृदयग्रन्थिस्थँ प्राणँ कुरु कुरु सोहँ सौः ईँ सः जूँ ॐ ॐ जूँ सः अमृठोँ नमश्शिवाय ।
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