अष्ट धर्म मार्ग मोक्ष प्राप्त करने के आठ उपाय हैं। वे हैं - यज्ञ, वेद का अध्ययन, दान, उपवास जैसी तपस्या, सत्य का पालन, सभी परिस्थितियों में सहनशीलता का पालन, सभी पर दया, और सभी इच्छाओं को त्याग देना।
सूर्य देव के श्राप से निर्धन होकर शनि देव अपनी मां छाया देवी के साथ रहते थे। सूर्य देव उनसे मिलने आये। वह मकर संक्रांति का दिन था। शनि देव के पास तिल और गुड के सिवा और कुछ नहीं था। उन्होंने तिल और गुड समर्पित करके सूर्य देव को प्रसन्न किया। इसलिए हम भी प्रसाद के रूप में उस दिन तिल और गुड खाते हैं।
वेद में बडी शक्ति है। मंत्रों में बडी शक्ति है। इस शक्ति का लाभ क्या सभी उठा सकते हैं? नहीं, वेद सिर्फ उनकी रक्षा करते हैं जो सदाचारी हैं। दुराचारियों का और दुराचारियों के लिए मंत्रोच्चार निष्प्रयोजक है। सदाचार के पा�....
वेद में बडी शक्ति है।
मंत्रों में बडी शक्ति है।
इस शक्ति का लाभ क्या सभी उठा सकते हैं?
नहीं, वेद सिर्फ उनकी रक्षा करते हैं जो सदाचारी हैं।
दुराचारियों का और दुराचारियों के लिए मंत्रोच्चार निष्प्रयोजक है।
सदाचार के पालन से मन और शरीर दोनों ही पवित्र हो जाते हैं।
वेद सिर्फ पवित्र लोगों की रक्षा करते हैं।
पर कुछ दुराचारी लोग सुखी दिखाई देते हैं।
कुछ सदाचारी दुखी भी दिखाई देते हैं।
ऐसा क्यों?
कर्म का फल अच्छा कर्म हो या बुरा कर्म, कर्म का फल भविष्य में मिलता है।
आज सदाचार का पालन करोगे तो उसका फल भविष्य में, परलोक में या अगले जन्म में मिलेगा।
हिंदू धर्म का सबसे मुख्य सिद्धांत है पुनर्जन्म।
हिंदू दूरदर्शी हैं।
हम सिर्फ आज का सुख आज का दुख इसके बारे में नहीं सोचते।
हिंदू बुद्धिमान है।
जैसे भविष्य के लिए हम बैंक मे पैसा जमा करते हैं, बीमा इत्यादियों में निवेश करते हैं, वैसे हम भविष्य में, आगे के जन्मों में, परलोक में सुख और शांति पाने के लिए ही सदाचार का पालन करते हैं।
क्या बहुसंख्यकों का आचरण को सदाचार कहते हैं?
या जिसको बहुमत प्राप्त हो, वह सदाचार है?
या जो युक्तियुक्त है, वह है आचार? सिर्फ वही है आचार?
नहीं, सदाचार वही है जिसका वेद में प्रमाण है।
लौकिक युक्ति भौतिक युक्ति और अध्यात्म की युक्ति एक होना जरूरी नहीं है।
जिस परिवार में सदाचार नहीं है, वह परिवार नष्ट हो जाता है।
सदाचार से न केवल परलोक में और पुनर्जन्म में, इस जन्म में भी सुख समृद्धि, शांति और दीर्घायु की प्राप्ति होती है।
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