कर्क राशि के १६ अंश ४० कला से ३० अंश तक जो नक्षत्र व्याप्त है उसे आश्लेषा कहते हैं।
वैदिक खगोल विज्ञान में यह नौवां नक्षत्र है।
आधुनिक खगोल विज्ञान के अनुसार आश्लेषा नक्षत्र को δ, ε, η, ρ, and σ Hydrae कहते हैं।
आश्लेषा नक्षत्र में जन्म लेने वालों की विशेषताएं -
आश्लेषा नक्षत्र में जन्म लेने वालों को इन दिनों महत्वपूर्ण कार्य नहीं करना चाहिए और इन नक्षत्रों में जन्मे लोगों के साथ भागीदारी नहीं करना चाहिए।
आश्लेषा नक्षत्र में जन्म लेने वालों को इन स्वास्थ्य से संबन्धित समस्याओं की संभावना है-
आश्लेषा नक्षत्र में जन्म लेने वालों के लिए कुछ अनुकूल व्यवसाय-
अनुकूल नहीं है।
पन्ना।
हरा, सफेद ।
आश्लेषा नक्षत्र के लिए अवकहडादि पद्धति के अनुसार नाम का प्रारंभिक अक्षर हैं-
नामकरण संस्कार के समय रखे जाने वाले पारंपरिक नक्षत्र-नाम के लिए इन अक्षरों का उपयोग किया जा सकता है।
शास्त्र के अनुसार नक्षत्र-नाम के अलावा एक व्यावहारिक नाम भी होना चाहिए जो रिकॉर्ड में आधिकारिक नाम रहेगा। उपरोक्त प्रणाली के अनुसार रखे जाने वाला नक्षत्र-नाम केवल परिवार के करीबी सदस्यों को ही पता होना चाहिए।
आश्लेषा नक्षत्र में जन्म लेने वालों के व्यावहारिक नाम इन अक्षरों से प्रारंभ न करें - ट, ठ, ड, ढ, प, फ, ब, भ, म, स।
अश्लेषा नक्षत्र में जन्मी महिलाओं का दांपत्य जीवन कठिन हो सकता है।
उन्हें अपने हावी स्वभाव को नियंत्रण में रखने की कोशिश करनी चाहिए।
अश्लेषा नक्षत्र में जन्मे लोगों को अपने संदिग्ध स्वभाव पर नियंत्रण रखना चाहिए।
आश्लेषा नक्षत्र में जन्म लेने वालों के लिए चन्द्र, शुक्र, और राहु की दशाएं आमतौर पर प्रतिकूल होती हैं। वे निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं।
मंत्र
ॐ सर्पेभ्यो नमः
धन्वन्तरि जयन्ती धनतेरस को ही मनाया जाता है।
गण्डान्त तीन प्रकार के हैं: नक्षत्र-गण्डान्त , राशि-गण्डान्त, तिथि-गण्डान्त। अश्विनी, मघा, मूल इन तीन नक्षत्रों के प्रथम चरण; रेवती, आश्लेषा, ज्येष्ठा इन तीन नक्षत्रों के अन्तिम चरण; ये हुए नक्षत्र-गण्डान्त। मेष, सिंह, धनु इन तीन राशियों की प्रथम घटिका; कर्क, वृश्चिक, मीन इन तीन राशियों की अंतिम घटिका; ये हुए राशि गण्डान्त। अमावास्या, पूर्णिमा, पञ्चमी, दशमी इन चार तिथियों की अंतिम तीन घटिका; प्रतिपदा, षष्ठी, एकादशी इन तीन तिथियों की प्रथम तीन घटिका; ये हुए तिथि-गण्डान्त। गण्डान्तों में जन्म अशुभ माना जाता है। गण्डान्तों में शुभ कार्यों को करना भी वर्जित है।
सुरक्षा के लिए पक्षी दुर्गा देवी मंत्र
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