ॐ घृणिः सूर्याय नमः
ॐ ह्रीं ह्रौं सूर्याय नमः
ॐ सों सोमाय नमः
ॐ ऐं क्लीं सोमाय नमः
ॐ अं अङ्गारकाय नमः
ॐ ह्रूं श्रीं भौमाय नमः
ॐ बुं बुधाय नमः
ॐ ऐं श्रीं श्रीं बुधाय नमः
ॐ बृं बृहस्पतये नमः
ॐ ह्रीं क्लीं हूँ बृहस्पतये नमः
ॐ शुं शुक्राय नमः
ॐ ह्रीं श्रीं शुक्राय नमः
ॐ शं शनैश्चराय नमः
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं शनैश्चराय नमः
ॐ रां राहवे नमः
ॐ ऐं ह्रीं राहवे नमः
ॐ कें केतवे नमः
ॐ ह्रीं ऐं केतवे नमः
अष्टम भाव के ऊपर चन्द्रमा, गुरु और शुक्र तीनों ग्रहों की दृष्टि हो तो देहांत के बाद भगवान श्रीकृश्ष्ण के चरणों में स्थान मिलेगा।
चौरासी वैष्णव की वार्ता
एक समय श्रीआचार्यजी महाप्रभू पृथ्वी परिक्रमाकौं पधारे �....
Click here to know more..श्रीरामजी को देवी माँ का दर्शन प्राप्त होता है
सौरी पंचक स्तोत्र
विधिस्तुतं वैदिकमन्त्रपूजितं वरिष्ठमापत्सु सुरक्षकं �....
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