सारे धार्निक शुभ कार्यों में पत्नी पति के दक्षिण भाग में रहें, इन्हें छोडकर- १. अभिषेक या अपने ऊपर कलश का तीर्थ छिडकते समय। २. ब्राह्मणॊं के पैर धोते समय। ३. ब्राह्मणों से आशीर्वाद स्वीकार करते समय। ४. सिन्दूर देते समय। ५ शांति कर्मों में। ६. मूर्ति प्रतिष्ठापन में। ७. व्रत के उद्यापन में। ८. विवाह होकर माता-पिता के घर से निकलते समय। ९. विवाह होकर पहली बार माता-पिता के घर वापस आते समय। १०. भोजन करते समय। ११. सोते समय।
महिलाओं का सम्मान करें और उनकी स्वतंत्रता को सीमित करने वाली प्रथाओं को हटाएं। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो समाज का पतन होगा। शास्त्र कहते हैं कि महिलाएं शक्ति की सांसारिक प्रतिनिधि हैं। श्रेष्ठ पुरुष उत्तम महिलाओं से आते हैं। महिलाओं के लिए न्याय सभी न्याय का मार्ग प्रशस्त करता है। कहा गया है, 'महिलाएं देवता हैं, महिलाएं ही जीवन हैं।' महिलाओं का सम्मान और उत्थान करके, हम समाज की समृद्धि और न्याय सुनिश्चित करते हैं।
ॐ ऋणहर्त्रे नमः ॐ ऋणमोचनाय नमः ॐ ऋणभञ्जनाय नमः ॐ ऋणदावानलाय नमः ॐ ऋणविदारणाय नमः ॐ ऋणान्तकाय नमः ॐ ऋणभेदनाय नमः ॐ ऋणपाशविमोचनाय नमः ॐ ऋणदारिद्र्यनाशकाय नमः ॐ ऋणसंहारकाय नमः ॐ ऋणमुक्तिदाय नमः ॐ ऋणव�....
ॐ ऋणहर्त्रे नमः
ॐ ऋणमोचनाय नमः
ॐ ऋणभञ्जनाय नमः
ॐ ऋणदावानलाय नमः
ॐ ऋणविदारणाय नमः
ॐ ऋणान्तकाय नमः
ॐ ऋणभेदनाय नमः
ॐ ऋणपाशविमोचनाय नमः
ॐ ऋणदारिद्र्यनाशकाय नमः
ॐ ऋणसंहारकाय नमः
ॐ ऋणमुक्तिदाय नमः
ॐ ऋणविमर्दनाय नमः
ॐ ऋणशोकहारिणे नमः
ॐ ऋणच्युतिकराय नमः
ॐ ऋणत्रयविमोचकाय नमः
ॐ ऋणपञ्चविमोचकाय नमः
ॐ ऋणग्रस्तसमाश्वासाय नमः
ॐ ऋणिनां सुहृदे नमः
ॐ ऋणिनां भयापहाय नमः
ॐ ऋणिनां रक्षाकराय नमः
ॐ ऋणसागरतारणाय नमः
ॐ ऋणदुःखभञ्जनकारकाय नमः
ॐ ऋणप्रहर्त्रे नमः
ॐ ऋणविध्वंसिने नमः
ॐ ऋणनियामकाय नमः
ॐ ऋणनियन्त्रकाय नमः
ॐ ऋणिनां अभयप्रदाय नमः
ॐ ऋणिनां काराबन्धमोक्षदाय नमः
ॐ ऋणकाननच्छेत्रे नमः
ॐ ऋणमोचनार्थं पूजिताय नमः
ॐ ऋणिभिः प्रपूजिताय नमः
ॐ ऋणापहारकाय नमः
ॐ ऋणिनां कामदाय मणये नमः
ॐ पितृऋणमोचकाय नमः
ॐ देवऋणमोचकाय नमः
ॐ ऋषिऋणमोचकाय नमः
ॐ भूतऋणमोचकाय नमः
ॐ मनुष्यऋणमोचकाय नमः
ॐ बन्धुऋणमोचकाय नमः
ॐ गृहऋणमोचकाय नमः
ॐ वाहनऋणमोचकाय नमः
ॐ कार्षिकऋणमोचकाय नमः
ॐ पठनऋणमोचकाय नमः
ॐ वृत्तिऋणमोचकाय नमः
ॐ चिकित्साऋणमोचकाय नमः
ॐ वाणिज्यऋणमोचकाय नमः
ॐ सर्वऋणमोचकाय नमः
ॐ सिन्दूरवर्णाय ऋणहर्तृगणपतये नमः
ॐ द्विभुजाय ऋणहर्तृगणपतये नमः
ॐ पद्मदले निविष्टाय ऋणहर्तृगणपतये नमः
ॐ ब्रह्मादिदेवैः परिसेव्यमानाय ऋणहर्तृगणपतये नमः
ॐ सिद्धैर्युताय ऋणहर्तृगणपतये नमः
ॐ पार्वतीपुत्राय ऋणहर्तृगणपतये नमः
ॐ सुमुखाय ऋणहर्तृगणपतये नमः
ॐ एकदन्ताय ऋणहर्तृगणपतये नमः
ॐ कपिलाय ऋणहर्तृगणपतये नमः
ॐ गजकर्णकाय ऋणहर्तृगणपतये नमः
ॐ लम्बोदराय ऋणहर्तृगणपतये नमः
ॐ विकटाय ऋणहर्तृगणपतये नमः
ॐ विघ्नराजाय ऋणहर्तृगणपतये नमः
ॐ विनायकाय ऋणहर्तृगणपतये नमः
ॐ धूम्रकेतवे ऋणहर्तृगणपतये नमः
ॐ गणाध्यक्षाय ऋणहर्तृगणपतये नमः
ॐ भालचन्द्राय ऋणहर्तृगणपतये नमः
ॐ गजाननाय ऋणहर्तृगणपतये नमः
ॐ निर्विघ्नरूपाय ऋणहर्तृगणपतये नमः
ॐ विनायकाय ऋणहर्तृगणपतये नमः
ॐ वीराय ऋणहर्तृगणपतये नमः
ॐ शूराय ऋणहर्तृगणपतये नमः
ॐ वरदाय ऋणहर्तृगणपतये नमः
ॐ हस्तिमुखाय ऋणहर्तृगणपतये नमः
भक्ति योग का लक्ष्य भगवान श्रीकृष्ण ही है
भक्ति योग का लक्ष्य भगवान श्रीकृष्ण है, कोई अन्य देवता या ....
Click here to know more..नागमाता ने अपने पुत्रों को क्यों श्राप दिया?
कद्रू ने गुस्से में आकर अपने ही पुत्रों को शाप दे दिया: तु�....
Click here to know more..नवग्रह अष्टोत्तर शतनामावलि
ॐ भानवे नमः । हंसाय । भास्कराय । सूर्याय । सूराय । तमोहराय....
Click here to know more..