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यह वेबसाइट बहुत ही रोचक और जानकारी से भरपूर है।🙏🙏 -समीर यादव

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भगवान कृष्ण का दिव्य निकास: महाप्रस्थान की व्याख्या

भगवान कृष्ण के प्रस्थान, जिसे महाप्रस्थान के नाम से जाना जाता है, का वर्णन महाभारत में किया गया है। पृथ्वी पर अपने दिव्य कार्य को पूरा करने के बाद - पांडवों का मार्गदर्शन करना और भगवद गीता प्रदान करना - कृष्ण जाने के लिए तैयार हुए। वह एक पेड़ के नीचे ध्यान कर रहे थे तभी एक शिकारी ने गलती से उनके पैर को हिरण समझकर उन पर तीर चला दिया। अपनी गलती का एहसास करते हुए, शिकारी कृष्ण के पास गया, जिन्होंने उसे आश्वस्त किया और घाव स्वीकार कर लिया। कृष्ण ने शास्त्रीय भविष्यवाणियों को पूरा करने के लिए अपने सांसारिक जीवन को समाप्त करने के लिए यह तरीका चुना। तीर के घाव को स्वीकार करके, उन्होंने दुनिया की खामियों और घटनाओं को स्वीकार करने का प्रदर्शन किया। उनके प्रस्थान ने वैराग्य की शिक्षाओं और भौतिक शरीर की नश्वरता पर प्रकाश डाला, यह दर्शाते हुए कि आत्मा ही शाश्वत है। इसके अतिरिक्त, शिकारी की गलती पर कृष्ण की प्रतिक्रिया ने उनकी करुणा, क्षमा और दैवीय कृपा को प्रदर्शित किया। इस निकास ने उनके कार्य के पूरा होने और उनके दिव्य निवास, वैकुंठ में उनकी वापसी को चिह्नित किया।

अंत्येष्टि का अर्थ क्या है?

इष्टि का अर्थ है यज्ञ। जीवन के अंत में किये जानेवाला यज्ञ अथवा इष्टि है अंत्येष्टि। इसमें जीवन भर अपने शरीर से ईश्वर की सेवा करने के बाद, उसी शरीर को एक आहुति के रूप में अग्नि देव को समर्पित किया जाता है।

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कश्मीर नाम का स्रोत क्या है ?

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