बाबा गंगेश्वरनाथ धाम उत्तर प्रदेश के संत रविदास नगर जिला के डीघ मंडल में इटहरा गांव में स्थित है।
यह गांव गंगा नदी से तीनो दिशाओं से घिरी हुई है।
बाबा गंगेश्वरनाथ धाम में भगवान शंकर विराजमान हैं।
बाबा गंगेश्वरनाथ धाम पश्चिमवाहिनी गंगा के सम्मुख होने के कारण भगवान शंकर को यहां गंगेश्वरनाथ कहते हैं।
गंगाजी सामान्य रूप से पूर्व या दक्षिण की ओर बहती है।
कुछ ही दुर्लभ स्थानों में प्रवाह पश्चिम या उत्तर की ओर है।
ये स्थान बहुत ही पवित्र माने जाते हैं।
पर्वों और त्योहारों में यहां स्नान करने बहु संख्या में भक्त आते हैं।
बाबा गंगेश्वरनाथ धाम का निर्माण सन १७५० में बिसेन राज्पूतों ने काशी नरेश की सहायता से कराया था।
श्री. शिवलाल सिंह ने मंदिर का शिलान्यास किया था।
महाशिवरात्री।
भक्तजन मानते हैं कि बाबा गंगेश्वरनाथ धाम के ऊपर स्थापित त्रिशूल घूमता है।
जमवाय माता पहले बुढवाय माता कहलाती थी। दुल्हेराय का राजस्थान आने के बाद ही इनका नाम जमवाय माता हुआ।
पुराण प्राचीन ग्रंथ हैं जो ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति का वर्णन करते हैं, जिन्हें पंचलक्षण द्वारा परिभाषित किया गया है: सर्ग (सृष्टि की रचना), प्रतिसर्ग (सृष्टि और प्रलय के चक्र), वंश (देवताओं, ऋषियों और राजाओं की वंशावली), मन्वंतर (मनुओं के काल), और वंशानुचरित (वंशों और प्रमुख व्यक्तियों का इतिहास)। इसके विपरीत, इतिहास रामायण में भगवान राम और महाभारत में भगवान कृष्ण पर जोर देता है, जिनसे संबंधित मानवों के कर्म और जीवन को महत्व दिया गया है।
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