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जय सनातन जय सनातनी 🙏 -विकाश ओझा

वेद पाठशालाओं और गौशालाओं के लिए आप जो अच्छा काम कर रहे हैं, उसे देखकर बहुत खुशी हुई 🙏🙏🙏 -विजय मिश्रा

कृपया मेरा स्वास्थ्य अच्छा करें🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 -शिवप्रकाश

आपके मंत्र बहुत ही उपयोगी हैं। 😊 -विनीत राजपूत

is mantra ko sunne se man ko shanti milti hei -अंकिता सिंह

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पुष्पादि चढ़ानेकी विधि

फूल, फल और पत्ते जैसे उगते हैं, वैसे ही इन्हें चढ़ाना चाहिये'। उत्पन्न होते समय इनका मुख ऊपरकी ओर होता है, अतः चढ़ाते समय इनका मुख ऊपरकी ओर ही रखना चाहिये। इनका मुख नीचेकी ओर न करे । दूर्वा एवं तुलसीदलको अपनी ओर और बिल्वपत्र नीचे मुखकर चढ़ाना चाहिये। इनसे भिन्न पत्तोंको ऊपर मुखकर या नीचे मुखकर दोनों ही प्रकारसे चढ़ाया जा सकता है । दाहिने हाथ करतलको उतान कर मध्यमा, अनामिका और अँगूठेकी सहायतासे फूल चढ़ाना चाहिये।

क्या व्रत करना जरूरी है?

व्रत करने से देवी देवता प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं। जीवन में सफलता की प्राप्ति होती है। मन और इन्द्रियों को संयम में रखने की क्षमता आती है।

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लंका से वापस आने पर अयोध्या पुरवासी सीताजी के बारे में जो कहने लगे इसकी खबर श्रीरामजी तक किसने पहुंचाया था ?

परि त्वा गिरेरमिहं परि भ्रातुः परिष्वसुः। परि सर्वेभ्यो ज्ञातिभ्यः परिषीतःक्वेष्यसि। शश्वत्परिकुपितेन संक्रामेणाविच्छिदा। उलेन परिषीतोसि परिषीतोस्युलेन। आवर्तन वर्तय निनिवर्तन वर्तयेन्द्र नर्दबुद। भूम्�....

परि त्वा गिरेरमिहं परि भ्रातुः परिष्वसुः।
परि सर्वेभ्यो ज्ञातिभ्यः परिषीतःक्वेष्यसि।
शश्वत्परिकुपितेन संक्रामेणाविच्छिदा।
उलेन परिषीतोसि परिषीतोस्युलेन।
आवर्तन वर्तय निनिवर्तन वर्तयेन्द्र नर्दबुद।
भूम्याश्चतस्रः प्रदिशस्ताभिरा वर्तया पुनः।

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