गंधमादन वह पर्वत है जहाँ बदरिकाश्रम और नर-नारायण आश्रम स्थित हैं। (महाभारत.वनपर्व.141.22-23)
यदि ये समारोह पहले ही शुरू हो चुके हैं, तो अशुद्धि की खबर आने पर इन्हें बंद करने की आवश्यकता नहीं है - उपनयन, यज्ञ, विवाह, श्राद्ध, हवन, पूजा, जाप। लेकिन यदि खबर समारोह शुरू होने से पहले आती है, तो शुरू नहीं करना चाहिए।
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