ब्रह्मा जी और श्रीहरि ने भोलेनाथ का यशोगान करके कहा है:
आप अनन्त तेजोमय हैं।
आप श्रेष्ठ व्रतों का पालन करने वाले हैं।
विश्व का बीज आप ही हैं।
विश्व के अधिपति आप ही हैं।
आप त्रिशूलधारी हैं।
हम सबकी उत्पत्ति आप से ही हुई है।
सारे यज्ञों को और पूजनों को आप ही संपन्न कराते हैं।
समस्त द्रव्यों के स्वामी आप ही हैं।
आप विद्या के स्वामी हैं।
आप मंत्रों के स्वामी हैं।
आप व्रतों के स्वामी हैं।
आपकी शक्ति को कोई पूर्ण रूप से समझ नहीं सकता।
हमने जितना आप को जाना उसके अनुसार आपकी स्तुति करते हैं।
आपको बार बार नमस्कार।
- वायुपुराण
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