एक राशि में ९ नक्षत्र चरण होते हैं। कुंभ राशि में धनिष्ठा नक्षत्र के अंतिम दो चरण, शतभिषा नक्षत्र के चारॊं चरण और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के आद्य तीन चरण आते हैं।
कुंभ राशि के चरण ३, ४, ५ और ६ शतभिषा नक्षत्र के हैं। शतभिषा नक्षत्र कुंभ राशि के ६ अंश ४० कला से २० अंश तक व्याप्त है। एक नक्षत्र चरण की व्याप्ति है ३ अंश २० कलाएं।
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कृत युग में - त्रिपुरसुंदरी, त्रेता युग में - भुवनेश्वरी, द्वापर युग में - तारा, कलि युग में - काली।
आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने से भय और खतरों से सुरक्षा मिलती है। इससे प्रतिद्वंद्वियों के साथ लड़ाई में सफलता प्राप्त होती है।