नैमिषारण्य की ८४ कोसीय परिक्रमा है । यह फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को शुरू होकर अगले पन्द्रह दिनों तक चलती है ।
Veda calls humidity in the atmosphere Agreguvah (अग्रेगुवः). It is also called Agrepuvah (अग्रेपुवः) since it purifies the atmosphere.
समस्त जगत का कारण है वह, पर माता में कोई इच्छा नहीं है। जगदम्बा का चरित्र सुनकर मनुष्य आश्चर्यचकित हो जाता है। वेदों से भी, माता के गुणों के बारे में प्रभाव के बारे में पूर्ण रूप से जान नहीं सकते। कहते हैं कि माता स्वयं नहीं �....
समस्त जगत का कारण है वह, पर माता में कोई इच्छा नहीं है।
जगदम्बा का चरित्र सुनकर मनुष्य आश्चर्यचकित हो जाता है।
वेदों से भी, माता के गुणों के बारे में प्रभाव के बारे में पूर्ण रूप से जान नहीं सकते।
कहते हैं कि माता स्वयं नहीं जानती अपने गुण और प्रभाव के बारे में संपूर्ण रूप से।
देवता लोग माता से पूछते है।
क्या आपको नहीं पता भगवान विष्णु का सिर कट गया है?
क्या आप उनकी परीक्षा ले रही हैं?
या यह घटना भगवान के किसी पाप के कारण हुआ है?
ऐसा तो नहीं लग रहा है क्यों कि जिसकी श्रद्धा आपके चरणों में है उसके द्वारा पाप हो ही नहीं सकता।
हमारी उपेक्षा क्यों कर रही हैं आप?
हम सब बडे कष्ट में है।
आप तो सारे जगत के दुख को एक क्षण में दूर करती हैं, हमें यह नहीं पता चल रहा है कि आप भगवान के सिर को वापस करने में विलम्ब क्यों करती हैं?
सारे देवताओं में देवता होने का जो घमंड है उसे जानकर आपने ऐसे किया है क्या?
सारे देवताओं के दोषों को भगवान विष्णु में, एक स्थान पर लाकर उनके समाधान के लिये आपने यह दण्ड दिया है क्या?
या विष्णु स्वयं घमंडी हो गये थे लडाईओं में सर्वदा विजय पाकर।
इन सब दोषों को अति शीघ्र ही दूर करने के लिए आपके द्वारा रची हुई लीला है क्या यह?
दोषों का फल भुगतने से ही नष्ट होता हे।
देवता कहते हैं: हम नहीं जान पा रहे हैं यह सब क्या हो रहा है।
या कही ऐसा तो नहीं है कि युद्ध में पराजित होने पर दानवों ने घोर तपस्या करके आपसे कोई वर प्राप्त कर लिया हो।
जिसके कारण यह घटना घटी है।
या आप मनोरंजन कर रही है क्या विष्णु को सिर के बिना देखकर?
कहीं ऐसा तो नहीं कि लक्ष्मी जी ने आपके साथ कोई अपराध किया हो, और आप उनको दंड दे रही हो।
ऐसा हुआ तो भी क्षमा कर दीजिए, आपकी ही अंश है लक्षमी जी।
भगवान को जीवनदान दीजिए, लक्ष्मी के शोक को दूर कीजिए।
हम देवता ही इस जगत के दैनंदिन कार्यों को चलाते हैं।
हम पर कृपा कीजिए।
हमें इस दुख सागर से पार कीजिए।
आप ही समस्त जगत की जीवन दात्री हैं।
भगवान का सिर कट गया है।
क्या करना है हमें कुछ पता नहीं चल रहा है।
कृपया कुछ कीजिए।
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