महादेव श्रीहरि की पूजा करते हैं और श्रीहरि महादेव की पूजा करते हैं।
जमवाय माता पहले बुढवाय माता कहलाती थी। दुल्हेराय का राजस्थान आने के बाद ही इनका नाम जमवाय माता हुआ।
इस जगत की सृष्टि देवी ने ही कराया है, ब्रह्मा के द्वारा। समस्त प्राणियों की ईश्वरी है वह। जो भी शुभकामना है उसे देवी मां पूरा करती है। भूमि देवी के स्वरूप में सबका आश्रय है वह। हर प्राणियों के अंदर जो साँस है, वह देवी माँ ह�....
इस जगत की सृष्टि देवी ने ही कराया है, ब्रह्मा के द्वारा।
समस्त प्राणियों की ईश्वरी है वह।
जो भी शुभकामना है उसे देवी मां पूरा करती है।
भूमि देवी के स्वरूप में सबका आश्रय है वह।
हर प्राणियों के अंदर जो साँस है, वह देवी माँ है।
ऐश्वर्य, कान्ति, क्षमा, शान्ति, श्रद्धा- ये सब देवी माता ही है।
बुद्धि, धृति, धारण शक्ति, स्मृति, स्मरण शक्ति, बुद्धि है तो समझ पाते है, जिस बात को समझ गये उसको अपने मस्तिष्क में बचाए रखना- धृति, उसको आवश्यक होने पर स्मरण में लाने की शक्ति- स्मृति।
ये सब देवी माता है।
ॐकार में जो अर्धमात्रिक मकार है, वह जगदम्बा है ।
महामाया ही गायत्री मन्त्र है।
व्याहृति, अर्थात् भूः भुवः स्वः, जो भूलोक, अंतरिक्ष और स्वर्ग के प्रतिनिधि हैं, जया, विजया, धात्री, लज्जा, कीर्ति, स्पृहा और दया- ये सब माता है।
सृष्टि में कुशल, करुणा का सागर, सबकी माँ, विद्या, ज्ञान, कल्याण करने वाली, सबका हित करने वाली, श्रेष्ठों में श्रेष्ठ है माता।
मन्त्रों में जो शक्ति है, जिसके कारण मन्त्र फल देते हैं, वह शक्ति माता की है।
संसार के जितने क्लेश, कष्ट, दुःख- ये सब वही दूर करती है।
ब्रह्मा, शंकर, विष्णु, इन्द्र, सरस्वती, अग्नि, सूर्य, सारे लोकपाल- इनका सृजन माता ने ही किया है।
जगदम्बा से बढ़कर उनमें कोई विशेषता नहीं है।
समस्त चराचर जगत की माता वही है।
जब भी माता चाहती है कि में जगत की रचना करूँ तब वह ब्रह्मा, विष्णु और महेश को सृष्टि करती है।
ब्रह्मा, विष्णु और शंकर माध्यम हैं देवी के सृष्टि, पालन और संहार के लिये।
पर जगत में जितने दोष हैं वे देवी माँ मे थोडा भी नहीं है।
माता के असली रूप को जानने वाला कोई नहीं है।
माता के सारे नामों को जानने वाला कोई नहीं है।
छोटी सी बावली को पार करने की क्षमता ही है मनुष्य में।
वह कैसे सागर को पार करेगा?
मनुष्य तो क्या, किसी देवता में ऐसा सामर्थ्य नहीं है कि उन के वैभव को पूर्ण रूप से जान लें।
पता नहीं, कैसे समस्त जगत की सृष्टि वह स्वयं कर लेती है।
माता ही समस्त जगत की सृष्टि करती हे, इसका प्रमाण वेदों मे है।
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