अभिमन्यु की पत्नी का नाम था उत्तरा।

उत्तरा मत्स्य देश के विराट नरेश की पुत्री थी।

अज्ञातवास के समय पाण्डव विराट नरेश के महल में ही वेश बदल कर रहते थे। 

अर्जुन बृहन्नला नानक हिजडे के वेश में उत्तरा को नृत्य और संगीत आदि कलाएं सिखाते थे।

अज्ञातवास समाप्त होने पर पाण्डवों ने अपने पहचान का खुलासा किया। 

उस समय विराट नरेश ने चाहा कि अर्जुन उत्तरा को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करें।

लेकिन अर्जुन ने बताया कि वे उत्तरा के गुरु थे। 

शिष्या को पत्नी बनाने से लोक में गुरु-शिष्या संबन्ध की पवित्रता घट सकती है। 

इसलिए अर्जुन ने अनुरोध किया कि उत्तरा का विवाह उनके पुत्र अभिमन्यु के साथ संपन्न किया जाएं।

विराट नरेश खुशी के साथ मान गये और इस प्रकार उत्तरा अभिमन्यु की पत्नी बन गयी।

 

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वेदधारा समाज की बहुत बड़ी सेवा कर रही है 🌈 -वन्दना शर्मा

वेदधारा समाज के लिए एक महान सेवा है -शिवांग दत्ता

आपकी वेबसाइट से बहुत सी महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है। -दिशा जोशी

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गुरुजी की शिक्षाओं में सरलता हैं 🌸 -Ratan Kumar

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महर्षि मार्कंडेय: भक्ति की शक्ति और अमर जीवन

मार्कंडेय का जन्म ऋषि मृकंडु और उनकी पत्नी मरुद्मति के कई वर्षों की तपस्या के बाद हुआ था। लेकिन, उनका जीवन केवल 16 वर्षों के लिए निर्धारित था। उनके 16वें जन्मदिन पर, मृत्यु के देवता यम उनकी आत्मा लेने आए। मार्कंडेय, जो भगवान शिव के परम भक्त थे, शिवलिंग से लिपटकर श्रद्धा से प्रार्थना करने लगे। उनकी भक्ति से प्रभावित होकर भगवान शिव प्रकट हुए और उन्हें अमर जीवन का वरदान दिया, और यम को पराजित किया। यह कहानी भक्ति की शक्ति और भगवान शिव की कृपा को दर्शाती है।

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बाणासुर पर विजय पाने के लिए शत्रुघ्न ने इस शिवलिंग की स्थापना करके उसकी पूजा की थी श्रीरामजी के सान्निध्य में । कहां है यह ?

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