आइए देखते हैं, शिव रहस्य में रुद्राक्ष के प्रकार और प्रयोजन के बारे में क्या बताया है।

एकवक्त्रः शिवः साक्षाद्ब्रह्महत्यां व्यपोहति।
अवध्यत्वं प्रतिस्रोतो वह्निस्तंभं करोति च॥

१ मुखी रुद्राक्ष साक्षात शिव है।

यह ब्रह्महत्या जैसे घोर पापों से मुक्ति देता है।

आग और अपमृत्यु से बचाता है।

ब्रह्महत्या क्षय और कुष्ठ रोगों का कारण है।

 

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Shiv Tandav Stotram - Shiva Song - Lyrical Video - Shankar Mahadevan

 

द्विवक्त्रो हरगौरी स्याद्गोवधाद्यघनाशकृत्।

२ मुखी रुद्राक्ष गौरी-शंकर है।

यह गोहत्या पाप से मुक्ति देता है।

गोहत्या बवासीर, रताँधी और प्रमेह जैसी बीमारियों का कारण है।

त्रिवक्त्रो ह्यग्निजन्माथ पापराशिं प्रणाशयेत्।

३ मुखी रुद्राक्ष अग्नि है।

यह सारे पापों से छुटकारा देता है।

चतुर्वक्त्रः स्वयं ब्रह्मा नरहत्यां व्यपोहति।

४ मुखी रुद्राक्ष ब्रह्मा है।

नरहत्या पाप से यह मोचन देता है।

पञ्चवक्त्रस्तु कालाग्निरगम्याभक्ष्यपापनुत्।

५ मुखी रुद्राक्ष कालाग्नि है।

यह शास्त्र विरुद्ध स्त्री संगम और अभक्ष्य भोजन, इन पापों से मुक्ति देता है।

शास्त्र विरुद्ध स्त्री संगम के कारण कुष्ठ, क्षय और बवासीर जैसी बीमारियां होती हैं।

अभक्ष्य वस्तुओं को खाने से श्वेतकुष्ठ और अतिसार होता है।

षड्वक्त्रस्तु गुहो ज्ञेयो भ्रूणहत्यादि नाशयेत्।

६ मुखी रुद्राक्ष कार्त्तिकेय है।

भ्रूणहत्या पाप को मिटाता है।

सप्तवक्त्रस्त्वनन्तः स्यात् स्वर्णस्तेयादिपापहृत्।

७ मुखी रुद्राक्ष शेषनाग है।

सोने की चोरी के पाप से मुक्ति देता है।

सोना चुराने से प्रमेह होता है।

विनायकोऽष्टवक्त्रः स्यात् सर्वानृतविनाशकृत्।

८ मुखी रुद्राक्ष गणेश जी है।

असत्य का आचरण के पाप से मोचन देता है।

असत्य का आचरण करने वालों को कुष्ठ और मुखरोग जैसी बीमारियां होती हैं।

भैरवो नववक्त्रस्तु शिवसायुज्यकारकः।

९ मुखी रुद्राक्ष भैरव है।

यह शिव सायुज्य को प्राप्त कराता है।

दशवक्त्रः स्मृतो विष्णुर्भूतप्रेतभयापहः।

१० मुखी रुद्राक्ष विष्णु है।

यह भूत प्रेतादियों से बचाता है।

एकादशमुखो रुद्रो नानायज्ञफलप्रदः।

११ मुखी रुद्राक्ष रुद्र है।

यह यज्ञों का फल देता है।

द्वादशास्यस्तथादित्यः सर्वरोगनिबर्हणः।

१२ मुखी रुद्राक्ष आदित्य है।

यह रोगों से मुक्ति प्रदान करता है।

त्रयोदशमुखः कामः सर्वकामफलप्रदः।

१३ मुखी रुद्राक्ष कामदेव है।

इच्छाओं को पूर्ण करता है।

चतुर्दशास्यः श्रीकण्ठो वंशोद्धारकरः परः।

१४ मुखी रुद्राक्ष श्रीकण्ठ है।

वंश का उद्धार करता है।

 

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वेद धारा समाज के लिए एक महान सीख औऱ मार्गदर्शन है -Manjulata srivastava

वेदधारा की धर्मार्थ गतिविधियों में शामिल होने पर सम्मानित महसूस कर रहा हूं - समीर

हम हिन्दूओं को एकजुट करने के लिए यह मंच बहुत ही अच्छी पहल है इससे हमें हमारे धर्म और संस्कृति से जुड़कर हमारा धर्म सशक्त होगा और धर्म सशक्त होगा तो देश आगे बढ़ेगा -भूमेशवर ठाकरे

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