यह बहुत दिलचस्प है।

आज के दिन उनका असली नाम कृष्ण द्वैपायन है।

इस नाम के दो भाग हैं।

कृष्ण + द्वैपायन।

कृष्ण - काले रंग के।

द्वैपायन - द्वीप पर पैदा हुआ।

 

 

 

क्या आप जानते हैं कि वर्तमान वेद व्यास का जन्म कैसे हुआ था?

व्यास की माता थी सत्यवती ।

वह पराशर ऋषि को यमुना नदी के पार ले जा रही थी नाव से ।

उनका मिलन नदी के एक द्वीप पर हुआ था।

सत्यवती ने तुरंत गर्भावस्था पूरी की और उस द्वीप पर ही व्यास जी को जन्म दिया ।

 

क्या व्यास बदलते रहते हैं?

हाँ।

व्यास एक पद है।

वर्तमान चतुर्युग में, जो वर्तमान मन्वंतर (वैवस्वत) में अट्ठाईसवां है, कृष्ण द्वैपायन व्यास जी के पद पर प्रतिष्ठित हैं ।

 

कृष्ण द्वैपायन से पहले के व्यास कौन कौन थे?

यह पूरी सूची है।

प्रथम - स्वायंभुव

दूसरा - प्रजापति

तीसरा - उशना

चौथा - बृहस्पति

पांचवां - सविता

छठा - मृत्यु

सातवां - इंद्र

आठवां - वशिष्ठ

नौवां - सारस्वत

दसवां - त्रिधा

ग्यारहवां - त्रिवृष

बारहवां - भरद्वाज

तेरहवां - अन्तरिक्ष

चौदहवां - वप्री

पन्द्रहवां - त्रय्यारुण

सोलहवां - धनंजय

सत्रहवां - क्रतुंजय

अठारहवां - ऋणज्य

उन्नीसवां - भरद्वाज

बीसवां - गौतम

इक्कीसवां - हर्यात्मा

बाईसवां - वाजश्रवा

तेईसवां - तृणबिन्दु

चौबीसवां - वाल्मीकि

पच्चीसवां - शक्ति

छब्बीसवां - पराशर

सत्ताईसवां - जातुकर्ण

अट्ठाईसवां - कृष्ण द्वैपायन

आगामी उनतीसवें चतुर्युग के व्यास द्रोण के पुत्र अश्वत्थामा होंगे।

पुराण और महाभारत लिखना और वेदों का विभाग करना - ये व्यास जी की जिम्मेदारियां हैं ।




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