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वेदधारा के साथ ऐसे नेक काम का समर्थन करने पर गर्व है - अंकुश सैनी

वेदधारा चैनल पर जितना ज्ञान का भण्डार है उतना गुगल पर सर्च करने पर सटीक जानकारी प्राप्त नहीं हो सकती है। बहुत ही सराहनीय कदम है -प्रमोद कुमार

आप जो अच्छा काम कर रहे हैं, उसे देखकर बहुत खुशी हुई 🙏🙏 -उत्सव दास

वेदधारा की सेवा समाज के लिए अद्वितीय है 🙏 -योगेश प्रजापति

आप लोग वैदिक गुरुकुलों का समर्थन करके हिंदू धर्म के पुनरुद्धार के लिए महान कार्य कर रहे हैं -साहिल वर्मा

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यंत्र क्या हैं?

यंत्रों को देवता का शरीर माना जाता है, जबकि मंत्र को उनकी आत्मा। प्रत्येक देवता से संबंधित एक यंत्र होता है, और आगम यंत्रों के निर्माण और पूजा के लिए विशेष निर्देश देते हैं। इन्हें सोना, चांदी, तांबा या भूर्ज (भोजपत्र) जैसी विभिन्न सामग्रियों पर बनाया जा सकता है। यंत्र दो प्रकार के होते हैं: पूजा के लिए उपयोग किए जाने वाले (पूजनीय) और शरीर पर धारण किए जाने वाले (धारणीय), जिनके बारे में माना जाता है कि वे इच्छाओं को पूरा करते हैं और सुरक्षा प्रदान करते हैं।

श्राद्ध से बढ़कर कोई कर्म नहीं

श्राद्धात् परतरं नान्यच्छ्रेयस्करमुदाहृतम् । तस्मात् सर्वप्रयत्नेन श्राद्धं कुर्याद्विचक्षणः ॥ - (हेमाद्रि ) - श्राद्ध से बढ़कर कल्याणकारी और कोई कर्म नहीं होता । अतः प्रयत्नपूर्वक श्राद्ध करते रहना चाहिये।

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संपूर्ण कुरुक्षेत्र युद्ध की साक्षी कौन था ?

प्रातः काल में देवताओं का स्मरण करने से कुछ विशेष लाभ; आइए इसके बारे मे देखते हैं। सबसे पहले गणेशजी। गणेशजी का ऐसे स्मरण कीजिए कि उनकी दोनों कनपटियों में सिन्दूर लगा हुआ है और सारे देवता लोग उनको नमस्कार कर रहे हैं।....


प्रातः काल में देवताओं का स्मरण करने से कुछ विशेष लाभ; आइए इसके बारे मे देखते हैं।

सबसे पहले गणेशजी।

गणेशजी का ऐसे स्मरण कीजिए कि उनकी दोनों कनपटियों में सिन्दूर लगा हुआ है और सारे देवता लोग उनको नमस्कार कर रहे हैं।

ऐसे स्मरण करने से उस दिन के बडे बडे विघ्न दूर हो जाएंगे।

प्रातः काल में भगवान विष्णु का स्मरण कीजीए।

भगवान गरुड के ऊपर बैठे हैं और गजेन्द्र को मगरमच्छ के पकड से अपने सुदर्शन चक्र द्वारा छुडा रहे हैं।

कमल के दल के समान सुन्दर हैं उनकी आंखें।

ऐसे स्मरण से सारे दुख नष्ट हो जाते हैं।

भगवान उमापति भोलेनाथ नन्दि के ऊपर विराजमान हैं।

उनके ऊपरी हाथ में तलवार और त्रिशूल हैं।

निचली हाथों से भगवान अभय और वर देने की मुद्राएं दिखा रहे हैं।

ऐसे स्मरण करने से सारे रोग- शारीरिक, मानसिक, सारा डर सब नष्ट हो जाते हैं।

देवी मां दुर्गा का स्मरण कीजिए- हजार भुजाएं हैं उनकी।

उन सब में आयुध ली हुई हैं।

रत्नों से जटित मुकुट, कुण्डल, हार।

शरत काल के चन्द्रमा की तरह उनकी शीतल कान्ति चारों ओर फैल रही है।

उनके चरणों को देखिए।

लाल कमल की शोभा है उनकी।

पूरे दिन मे सुरक्षा देता है यह स्मरण।

सूर्यदेव के शान्त स्वरूप का स्मरण कीजिए, प्रातः काल में।

उदय सूर्य का।

आपका पूरा दिन दीप्तिमान रहेगा।

ब्रह्मा, विष्णु, शिव, सूर्य, चन्द्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु, केतु- इनका एक साथ में नाम लीजिए।

सारी ग्रह पीडाएं, ग्रह दोष समाप्त हो जाएंगे।

भृगु, वसिष्ट, क्रतु, अंगिरा, मनु, पुलस्त्य, पुलह, गौतम, रैभ्य, मरीचि, च्यवन, दक्ष- इन ऋषियों के नामों का स्मरण कीजिए।

आपका दिन मंगलमय हो जाएगा।

सनत्कुमार, सनक, सनन्दन, सनातन, आसुरि और पिंगल इनका नाम लीजिए।

सा, रे, ग, म, प, ध, नि- इन सात स्वरों को याद कीजिए।

भूः, भुवः, स्वः, महः, जनः, तपः, सत्यं- इन सात लोकों को याद कीजिए।

अतल, वितल, सुतल, तलातल, महातल, रसातल, पाताल- इन सात लोकों को याद कीजिए।

सात समुद्र, सप्तर्षिगण, सात कुलपर्वत, सात द्वीप, सात महावन - इनका स्मरण कीजिए।

आपका दिन शुभ हो जाएगा।

पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि, आकाश- इन पांच भूतों का स्मरण कीजिए।

आपका हर कार्य सफल हो जाएगा।

भगवान जनार्दन, युधिष्ठिर, राजा नल, और सीता माता- इनका एक साथ मे स्मरण कीजिए।

आपकी कीर्ति बढेगी।

अश्वत्थामा, बलि, वेद व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम, और मार्कण्डेय- इन चिरंजीवियों का प्रातः काल मे स्मरण करने से दीर्घायु और स्वास्थ्य की प्राप्ति होगी।

उमा, उषा, सीता, लक्ष्मी, गंगा- इन नामों को प्रातः काल में याद करने से सौभाग्य की वृद्धि होगी।

सोमनाथ, वैद्यनाथ, धन्वन्तरि और दो अश्विनीकुमार- इन पांचों का नाम लेने से हर रोग से मुक्ति मिलेगी।

भूरे रंग की गाय, कालिय, अनन्त, वासुकि और तक्षक- इनका स्मरण करने से विष की बाधा नहीं होगी।

भगवान शिव, श्रीहरि, हरिश्चन्द्र, हनुमान और बलराम- इनका एक साथ में नाम लेने से घोर संकट भी नष्ट हो जाएंगे।

आदित्य, उपेन्द्र, शिव, विष्णु और कार्तिकेय- इनके स्मरण से भूख और प्यास की पीडा नही होगी।

वसु, वरुण, सोम, सरस्वती और सागर- इन पांचों का नाम लेने से प्यास की पीडा नहि होगी।

ब्रह्मचर्य में अटल रहने के लिए प्रातः काल में सनत्कुमार, देवर्षि नारद, शुकदेव, भीष्माचार्य और हनुमानजी का स्मरण करें।

राम, लक्ष्मण, सीता, सुग्रीव, हनुमान- इन पांचों का स्मरण करने से बडी समस्याएं भी सुलझ जाएंगी।

विश्वेश्वर, बिन्दु माधव, ढुंढि गणेश, दण्डपाणि, कालभैरव, गंगा, अन्नपुर्णा, मणिकर्णिका- इनके साथ काशी के स्मरण से सद्बुद्धि और सद्गति की प्राप्ति होगी।

सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकाल, ओंकारेश्वर, वैद्यनाथ, भीमाशंकर, रामेश्वर, नागेश्वर, विश्वनाथ, त्र्यंबकेश्वर, केदारनाथ, घुश्मेश्वर- इन बारह ज्योतिर्लिंगों का नाम लेकर स्मरण करने से सात जन्मों मे किया हुआ सारे पाप नष्ट हो जाएंगे।

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