राजस्थान का अलवर शहर राजा शाल्व की राजधानी हुआ करता था, जिन्हें श्रीकृष्ण ने मारा था।
किसी निर्दोष की जान बचाने, विवाह के दौरान, पारिवारिक सम्मान की रक्षा के लिए, या विनोदी चिढ़ाने जैसी स्थितियों में, असत्य बोलना गलत नहीं माना जाता है। ऐसे झूठ से धर्म नहीं टूटता. धर्म की रक्षा जैसे अच्छे उद्देश्य के लिए असत्य बोलना पाप नहीं है।
गायत्री मंत्र और वाल्मीकि रामायण, इनके बीच के संबंध के बारे मे आपको पता है? गायत्री वेद माता है। अगर वेद एक वृक्ष है तो उसका बीज है गायत्री। रामायण मे वेद के ही तत्त्व हैं,आशय हैं जो एकदम सरल तरीके से बताये गये हैं। महर्षि �....
गायत्री मंत्र और वाल्मीकि रामायण, इनके बीच के संबंध के बारे मे आपको पता है?
गायत्री वेद माता है।
अगर वेद एक वृक्ष है तो उसका बीज है गायत्री।
रामायण मे वेद के ही तत्त्व हैं,आशय हैं जो एकदम सरल तरीके से बताये गये हैं।
महर्षि वाल्मीकि इसकी ओर कैसे संकेत देते हैं, देखिए।
बालकाण्ड प्रथम सर्ग, पहला श्लोक- तपः स्वाध्यायनिरतं…...
इसके पहले अक्षर को देखिए-त- तकार।
गायत्री मंत्र का पहला अक्षर क्या है?
तत्सवितुर्वरेण्यं-त-तकार।
और प्रथम सर्ग समाप्त कैसे होता है?
महत्त्वमीयात्।
गायत्री मंत्र समाप्त कैसे होता है? प्रचोदयात् - यात्
महत्त्वमीयत् - प्रचोदयात्
प्रथम सर्ग से संपूर्ण वाल्मीकि रामायण का विकास हुआ है।
यहीं पर यह संकेत मिलता है।
वाल्मीकि महर्षि चाहते क्या थे?
एक ऐसे पुरुष के बारे मे लिखना जिन्होंने १००% धर्म का ही आचरण किया है।
वैदिक धर्म।
तो यह संकेत देना ही पडेगा न?
रामायण में ही यह बताया गया है; वेद के अर्थ को विस्तार करने ही महर्षि ने लव और कुश को रामायण सिखाया।
और भी है, वाल्मीकि रामायण मे २४००० श्लोक हैं।
हजार-हजार श्लोक के २४ खंड लेंगे तो इनमें हर खंड के पहले श्लोक में आपको गायत्री मंत्र का अक्षर मिलेगा।
ठीक उसी क्रम से जैसे गायत्री मंत्र मे है।
तपः स्वाध्यायनिरतं... का तकार हमने देख लिया।
अब गायत्री का दूसरा अक्षर क्या है? सकार।
स तेन परमास्त्रेण... सर्ग ३०।
यह श्लोक संख्या १,००१ है।
सकार से शुरू होता है जो गायत्री का दूसरा अक्षर है।
जरूरी नही है कि श्लोक का पहला अक्षर ही हो।
लेकिन पहली पंक्ति मे आपको वह अक्षर मिलेगा।
जैसे गायत्री का नौवां अक्षर-भर्गो देवस्य का भकार।
श्लोक संख्या ९,००१ में, अरण्य काण्ड सर्ग ४७- मम भर्ता...उसमें यह भकार है।
इसका एक और उद्देश्य है।
अगर रामायण में किसी ने एक श्लोक अपना बनाकर जोडा, या निकाला तो यह क्रम बिगड जाएगा, गायत्री के साथ का यह संबंध टूट जाएगा।
इस माध्यम से आप पक्का कर सकते हैं कि आपके पास जो रामायण है वह मौलिक रूप है या बदला हुआ।