शिव पुराण में माथे, दोनों हाथों, छाती और नाभि पर भस्म लगाने की सलाह दी गई है।
राजा दिलीप के कोई संतान नहीं थी, इसलिए उन्होंने अपनी रानी सुदक्षिणा के साथ वशिष्ठ ऋषि की सलाह पर उनकी गाय नन्दिनी की सेवा की। वशिष्ठ ऋषि ने उन्हें बताया कि नन्दिनी की सेवा करने से उन्हें पुत्र प्राप्त हो सकता है। दिलीप ने पूरी निष्ठा और श्रद्धा के साथ नन्दिनी की सेवा की, और अंततः उनकी पत्नी ने रघु नामक पुत्र को जन्म दिया। यह कहानी भक्ति, सेवा, और धैर्य का प्रतीक मानी जाती है। राजा दिलीप की कहानी को रामायण और पुराणों में एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया जाता है कि कैसे सच्ची निष्ठा और सेवा से मनुष्य अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है।
पढाई और परीक्षा में सफलता के लिए सरस्वती मंत्र
ॐ श्रीं स्फ्यें ह्रीं नमः ॐ श्रीं स्फ्यें ह्रीं नमः ॐ श्र�....
Click here to know more..समाधि को प्राप्त करने में कितना समय लगेगा?
जो समाधि तक पहुंचते हैं उनमें भी कोई कोई जल्दी ही पहुंचता ....
Click here to know more..वेंकटेश विभक्ति स्तोत्र
श्रीवेङ्कटाद्रिधामा भूमा भूमाप्रियः कृपासीमा। निरवधि�....
Click here to know more..