पूषा रेवत्यन्वेति पन्थाम्। पुष्टिपती पशुपा वाजवस्त्यौ। इमानि हव्या प्रयता जुषाणा। सुगैर्नो यानैरुपयातां यज्ञम्। क्षुद्रान्पशून्रक्षतु रेवती नः। गावो नो अश्वां अन्वेतु पूषा। अन्नं रक्षन्तौ बहुधा विरूपम्। वाजं सनुतां यजमानाय यज्ञम्। (तै.ब्रा.३.१.२)
कबीरदास जी के अनुसार आदि राम - एक राम दशरथ का बेटा, एक राम घट घट में बैठा, एक राम का सकल उजियारा, एक राम जगत से न्यारा - हैं। दशरथ के पुत्र राम परमात्मा, जगत की सृष्टि और पालन कर्ता हैं।
शंकर भगवान जैसे कोई दानी नहीं है- तुलसीदासजी द्वारा रचित दानी कहूं
समुद्र वसने देवी: भूमि देवी से क्षमा मांगने के लिए प्रातःकालीन प्रार्थना
समुद्र वसने देवी प्रार्थना से अपने दिन की शुरुआत करें, भू�....
Click here to know more..नमो नमो भारताम्बे
नमो नमो भारताम्बे सारस्वतशरीरिणि । नमोऽस्तु जगतां वन्द�....
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