तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्
श्राद्ध से केवल अपने पितरों की ही संतृप्ति नहीं होती, अपितु जो व्यक्ति विधिपूर्वक अपने धनके अनुरूप श्राद्ध करता है, वह ब्रह्मा से लेकर घास तक समस्त प्राणियों को संतृप्त कर देता है। - ब्रह्मपुराण
स्वामी विशुद्धानन्द परमहंसदेव - जीवन और दर्शन
सुख कर्ता दुख हर्ता - आरती
सुख करता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची नूर्वी पूर्वी प्रेम क....
Click here to know more..वेंकटेश शरणागति स्तोत्र
अथ वेङ्कटेशशरणागतिस्तोत्रम् शेषाचलं समासाद्य कष्यपाद�....
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