इला। इला पैदा हुई थी लडकी। वसिष्ठ महर्षि ने इला का लिंग बदलकर पुरुष कर दिया और इला बन गई सुद्युम्न। सुद्युम्न बाद में एक शाप वश फिर से स्त्री बन गया। उस समय बुध के साथ विवाह संपन्न हुआ था।
कदम्ब, सारहीन फूल या कठूमर, केवड़ा, शिरीष, तिन्तिणी, बकुल (मौलसिरी), कोष्ठ, कैथ, गाजर, बहेड़ा, कपास, गंभारी, पत्रकंटक, सेमल, अनार, धव, बसंत ऋतुमें खिलनेवाला कंद-विशेष, कुंद, जूही, मदन्ती, सर्ज और दोपहरियाके फूल भगवान् शंकरपर नहीं चढ़ाने चाहिये। वीरमित्रोदयमें इनका संकलन किया गया है११ ।