Bhakti Ratnavali was written by Vishnu Puri of Mithila under instruction from Chaitanya Mahaprabhu. It is a collection of all verses pertaining to bhakti from Srimad Bhagavata.
स्नान करते समय बोलनेवाले के तेज को वरुणदेव हरण कर लेते हैं। हवन करते समय बोलनेवाले की संपत्ति को अग्निदेव हरण कर लेते हैं। भोजन करते समय बोलनेवाले की आयु को यमदेव हरण कर लेते हैं।
शिव तत्त्व का साक्षात्कार है ॐकार साधना का उद्देश्य
जय शिव ओंकारा
ॐ जय शिव ओंकारा स्वामी जय शिव ओंकारा । ब्रह्मा विष्णु सदा....
Click here to know more..शिव अपराध क्षमापण स्तोत्र
आदौ कर्मप्रसङ्गात् कलयति कलुषं मातृकुक्षौ स्थितं मां व�....
Click here to know more..