१. सीकर- राजस्थान २. अमरावती- महाराष्ट्र ३. वेलसा-सत्तारी- गोवा ४. सिरसा- हरियाणा ५. बोड़ला- उत्तरप्रदेश ६. रेगरपुरा-करोलबाग- नई दिल्ली ७. केसरबाग रोड- इंदोर। ये सारे सप्त गौ माता मंदिर हैं। यहां सात गर्भवती गायों की एक साथ पूजा होती है। इन मंदिरों में अधिकतर गर्भवती महिलाएं आती हैं जो अच्छी संतान के लिए प्रार्थना करती हैं।
नंदिनी जंगल की ओर निकल पडी। बाघ के पास पहुंचकर बोली- मैं तुम्हें दिये हुए वचन के अनुसार आ गई हूं। मुझे अब खा सकते हो। यह देखकर बाघ में धर्मबुद्धि और वैराग्य जागृत हो गए। बाघ ने कहा- मुझमें जरूर तुम्हारी वच�....
नंदिनी जंगल की ओर निकल पडी।
बाघ के पास पहुंचकर बोली- मैं तुम्हें दिये हुए वचन के अनुसार आ गई हूं।
मुझे अब खा सकते हो।
यह देखकर बाघ में धर्मबुद्धि और वैराग्य जागृत हो गए।
बाघ ने कहा- मुझमें जरूर तुम्हारी वचन को लेकर शक था लेकिन तुम उसे पालते आ गई।
सच की बचाव के लिए तुम ने अपने प्राण को भी तृणवत माना।
इस पापी दुरात्मा को ऐसे ज्ञान का उपदेश करो जिससे मुझे इस लोक में और पर लोक में कल्याण प्राप्त हो।
तुम सच में स्थित हो।
ऐसा कुछ भी नहीं होगा जो तुम्हें मालूम नहीं हो।
मुझे सारे धर्मों का सार संक्षेप में सुनाओ।
नंदिनी बोली- सत्य युग में तपस्या प्रशस्त है।
त्रेतायुग में ध्यान और द्वापरयुग में यज्ञ।
और कलियुग में दान।
दानों में भी सब से श्रेष्ठ है अभयदान।
यह उपदेश प्राप्त होने पर बाघ को अपना पूर्ववत शरीर मिल गया और उसी शिव लिंग की पूजा करके परम पद भी प्राप्त हो गया।
गाय को कमजोर और नाजुक मत समझो।
परशुराम के पिता थे जमदग्नि।
उनके आश्रम में एक बार राजा कार्तवीर्य अपनी सेना समेत आए।
कामधेनु उसी आश्रम में रहती थी।
कामधेनु की कृपा से ऋषि ने राजा और उनके भूखे प्यासे जवानों का अच्छे से सत्कार किया।
राजा चौंक गए कि इतने साधारण आश्रम में अचानक इतने सारे स्वादिष्ट भोजन कहा से आए और वह भी पूरे एक फौज को खिलाने लायक।
राजा को पता चला कि यह कामधेनु का कमाल था तो राजा का लोभ जागृत हो गया।
राजा ने ऋषि से कहा- आप लोग तो फल और कंदमूल खाने वाले हैं।
इस गाय का योग्य स्थान तो राजमहल है।
इसलिए आप कामधेनु हमें दे दीजिए।
जमदग्नि के मना कर देने पर सैनिकों ने उसे जबरदस्ती ले जाने की कोशिश की।
कामधेनु की फुफकार से कई सैनिक मरे।
कामधेनु ने हुंकार किया तो उससे निकली हुी अग्नि में और बहुत से सैनिक मरे।
धरती कांपने लगी।
सब जगह अंधेरा फैल गया।
बडे बडे पेड अपने आप गिरने लगे।
कामधेनु के खुरों के नीचे आकर और बहुत सैनिक मरे।
प्राणभय से सैनिक चारों और भाग पडे।
लोहे के डंडे से उन्होंने जहां जहां कामधेनु को मारा उन स्थानों से हजारों सैनिक निकले और राजा के फौज के साथ लडने लगे।
कामधेनु की तरफ छोडे हुए बाण उसे छू भी नहीं पाए।
राजा के हाथी घोडे सैनिक सब मिलकर भी कामधेनु का कुछ भी नहीं कर पाए।
यह है गौ माता की शक्ति।