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वेदधारा ने मेरे जीवन में बहुत सकारात्मकता और शांति लाई है। सच में आभारी हूँ! 🙏🏻 -Pratik Shinde

आपको धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद -Ghanshyam Thakar

शास्त्रों पर स्पष्ट और अधिकारिक शिक्षाओं के लिए गुरुजी को हार्दिक धन्यवाद -दिवाकर

वेदधारा के कार्यों से हिंदू धर्म का भविष्य उज्जवल दिखता है -शैलेश बाजपेयी

वेदधारा का प्रभाव परिवर्तनकारी रहा है। मेरे जीवन में सकारात्मकता के लिए दिल से धन्यवाद। 🙏🏻 -Anjana Vardhan

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पूजा का उद्देश्य

पूजा ईश्वर से जुड़ने और उनकी उपस्थिति का अनुभव करने के लिए की जाती है। यह आत्मा और भगवान के बीच की कल्पित बाधा को दूर करती है, जिससे भगवान का प्रकाश अबाधित रूप से चमकता है। पूजा के माध्यम से हम अपने जीवन को भगवान की इच्छा के अनुरूप ढालते हैं, जिससे हमारा शरीर और कर्म ईश्वर की दिव्य उद्देश्य के उपकरण बन जाते हैं। यह अभ्यास हमें भगवान की लीला के आनंद और सुख का अनुभव करने में मदद करता है। पूजा में लीन होकर, हम संसार को दिव्य क्षेत्र के रूप में और सभी जीवों को भगवान की अभिव्यक्ति के रूप में देख सकते हैं। इससे एक गहरी एकता और आनंद की भावना पैदा होती है, जिससे हम दिव्य आनंद में डूबकर उसके साथ एक हो जाते हैं।

महाभारत में कितनी अक्षौहिणी सेना समाप्त हुई?

महाभारत के युद्ध में कुल मिलाकर १८ अक्षौहिणी सेना समाप्त हुई। एक अक्षौहिणी में २१,८७० रथ, २१,८७० हाथी, ६५, ६१० घुड़सवार एवं १,०९,३५० पैदल सैनिक होते हैं।

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कौन सी गीता धनवान बनने के लिये उद्यम करके सफल नहीं हुए , उनके लिये उपदेश है ?

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